एक दिवसीय प्रशिक्षण में सुमिन्तर इंडिया ने बताया 'माहू' कीट से बचाव का तरीका

January 04 2019

गत सप्ताह सुमिंतर इंडिया आर्गेनिक एवं कृषि विभाग द्वारा बाड़मेर के ब्लॉक बायतु के गांव चोखला एवं भीमड़ा में एक दिवसीय जैविक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम सुमिंतर इंडिया के नियमित चलने वाले जैविक खेती जागरूकता अभियान एवं केंद्र पोषित राज्य सरकार द्वारा क्रियावान्वित  परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत किया गया. इसमें लगभग 150 किसानों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया. जिसमें सुमिंतर इंडिया की तरफ से संजय श्रीवास्तव एवं कृषि विभाग की तरफ से कुम्बा राम प्रशिक्षण दिए. वर्तमान समय में यहाँ के खेतों में जीरा की फसल खड़ी है जो यहाँ की नगदी फसल है.

प्रशिक्षण में किसानों को जैविक जीरा उत्पादन की विधि जिसमें मुखयतः वर्तमान समय में फसल की पोषण प्रबंध एवं किट नियन्त्रण की जानकारी दी गई. फसल पोषण प्रबंधन हेतु जीवा मृत एवं वेस्ट कम्पोजर घोल का प्रयोग सिंचाई एवं फसल स्प्रे करने की सलाह दी गई. जीरा का मुख्य कीट माहू (एफिड) है. जिसे स्थानीय भाषा में मावा भी कहते हैं. जिसके खेत में आने की सूचना हेतु पीले रंग के ट्रेप को लगाने की सलाह दी गई. यह ट्रेप पीले रंग की प्लास्टिक की सीट, पुराने प्लास्टिक के डिब्बे, बोरी आदि पर चिपचिपाहट हेतु ग्रीस और अरंडी के तेल का मिश्रण बनाकर लगाना बताया गया. इसे खेत में लगाने से कीट आकर्षित होकर चिपक जाते हैं जिससे किसानों को यह पता चल जाता है कि माहू का फसल पर प्रकोप शुरू होने वाला है.

प्रशिक्षण के दौरान कीट को देखकर खड़ी फसल पर नीम से बने उत्पाद जैसे नीम पत्र सत ,नीम बीज सत 5 %, नीम खली सत नीम तेल का स्प्रे आरंभिक अवस्था में प्रयोग करना तथा पुराने गोमूत्र एवं पांच पत्ती के काढ़ा का प्रयोग अधिक कीट प्रकोप पर करना बताया गया.

प्रशिक्षण में आये हुए किसानों को राष्ट्रीय जैविक केंद्र विकसित वेस्ट डी-कम्पोजर को बहुलीकृत कर किसानों को बांटा गया साथ में कृषि जागरण के जैविक विशेषांक का नि:शुल्क वितरण हुआ. कृषि विभाग के तरफ से जीवाणु खाद का भी वितरण किया गया. परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों को मिलने वाली सुविधा को श्री कुम्भ राम जी ने विस्तार से बताया.

प्रशिक्षण के अंत में जैविक खेती के सम्बन्ध में किसानों को जो भी शंकाएं थी उसे उन्होंने जाहिर किया. जिसे सुमिंतर इंडिया की ओर से आए श्री संजय श्रीवास्तव जी के द्वारा बहुत ही अच्छे तरीके से बताया गया. जिससे किसान संतुष्ट भी हुए. अंत में संजय श्रीवास्तव एवं कुम्भ राम जी से प्रशिक्षण में आये हुए किसानों ने पुनः इस तरह का प्रशिक्षण कराने का आग्रह किया. जिस पर दोनों लोगों ने किसानों को यह आश्वासन दिया कि ऐसा प्रशिक्षण उनको नियमित मिलते रहेंगे और राज्य सरकार की ओर से परम्परागत कृषि विकास योजना का लाभ भी मिलता रहेगा.

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स्रोत - Krishi Jagran