भारत दुनिया के चावल उत्पादन करने वाले शीर्ष देशों में शामिल है. देश के तकरीबन कई राज्यों में बड़े पैमाने पर चावल की खेती की जाती है. पश्चिम बंगाल भी देश का प्रमुख चावल उत्पादक राज्य है. अनुकूल जलवायु के चलते यहाँ चावल की बंपर पैदावार होती है और यही राज्य की मुख्य फसल भी है. राज्य सरकार भी चावल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है. जिससे उत्पादन में तो वृद्धि होती ही है साथ ही किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी मदद मिलती है.
पिछले वर्ष खरीफ सीजन के दौरान सरकार ने किसानों से 27,000 टन धान की खरीद की थी जबकि मौजूदा बाजार वर्ष में अब तक 2.14 लाख टन धान की खरीद की जा चुकी है. सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की बेहतर व्यवस्था इस बढ़ोतरी की प्रमुख वजह है. सरकार ने बाजार कीमतों से प्रति क्विंटल पर 300 रूपये अधिक की दर से धान खरीद प्रक्रिया को अपनाया है.
इसके साथ ही सरकार ने खरीद प्रक्रिया को भी आसान बनाया है. किसानों को सही वक्त से धान का दाम मिल पाए, इस बात की भी सुनिश्चितता तय की गई है. यह राज्य के किसानों के लिए एक सुखद खबर है क्योंकि इन दिनों देश के किसानों की दशा बहुत ही दयनीय है. ना तो उसको सही कीमतें मिल पा रही हैं और ना ही समय से भुगतान हो पा रहा है. इसके अलावा वह बैंकों के कर्ज तले दबा जा रहा है. आलम यह है कि मजबूर और बेबस किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए सड़कों पर उतर रहा है. अभी हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में भी देश भर के किसानों ने संसद मार्च किया था. लाखों की संख्या में आए किसानों ने केंद्र और राज्य सरकारों की विफलता को जमकर कोसा.
फिलहाल, पश्चिम बंगाल के किसानों को धान खरीद की यह स्कीम उम्मीद की किरण की तरह दिख रही है. सरकार ने जारी खरीफ सीजन में 52 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य तय किया है. साथ ही प्रत्येक किसान से न्यूनतम 90 क्विंटल धान की खरीद किए जाने का कार्यक्रम है. ताजा स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार इस लक्ष्य को पूरा कर सकती है.
Source: Krishi Jagran