इस किसान को गेहूं का मिला 3100 रुपए प्रति क्विंटल, गाय के गोबर व गोमूत्र से कर रहा है खाद तैयार

July 11 2018

किसानों को जैविक खेती के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है... फसलों पर कीटनाशकों के इस्तेमाल से फसलों पर तो प्रभाव पड़ता ही है इसके साथ-साथ जमीन को भी बनज़र बनाता है... यह तो एक-दो उदारण है ऐसे कई उदाहरण और हैं जो कीटनाशकों के दुष्प्रभाव को उजागर करता है... कई कीटनाशक तो ऐसे भी हैं जिनके इस्तेमाल के बाद उसके दुष्प्रभाव से किसानों की खेत में ही मौत हो गई... तो किसानों के लिए काफी जरूरी है की वो जैविक खेती की ओर रुख करें और अपनी पैदावार को बढ़ाने की कोशिश करें...

अब आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताते हैं जिन्होंने जैविक खेती को फसलों के लिए न सिर्फ अपनाया बल्कि उसके सहारे अच्छी पैदावार और मुनाफा भी कमा रहे हैं... उत्तर प्रदेश के दादरी जिले के अटेला जिले के किसान लगभग छह साल से खेती कर रहा है... इस बार किसान ने जैविक खाद से गेहूं को तैयार कर एक नयी सफलता को हासिल किया... किसान ने जैविक खाद से तैयार गेहूं को 3100 रुपए प्रति क्विंटल के भव पर बेचा... वहीं आपको बता दें की गेहूं 1735 रुपए प्रति क्विंटल है... अगर किसान की बात करें तो वह गाय के गोबर से जैविक खाद तैयार कर प्रति एकड़ 55 हजार रुपये कमा रहा है... किसान का मानना है की जैविक खेती में भले ही पैदावार कम होता है लेकिन मुनाफा सामान्य खेती से अधिक होता है...

जैविक खेती किसानों के बीच परंपरागत मानी जाती है, खेती का यह तरीका काफी पूराना है... लेकिन, इसकी मांग किसानों और उपभोक्ताओं के बीच फिर से बढ़ रही है... सफल किसान दीवान सिंह की अगर बात करें तो उन्होंने जैविक खेती की शुरूआत वर्ष 2012 में की थी... उन्होंने इसकी शुरुआत 1 एकड़ में जैविक खाद से गेहूं उगाकर की थी लेकिन, आज वो लगभग 9 एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं... किसान दीवान का कहना है कि जैविक खेती के लिए शुरूआत में ज्यादा मेहनत की जरूरत होती है। एक बार प्रक्रिया समझ आने के बाद दिक्कत नहीं आती। उन्होंने बताया कि वे अपने घर पर देसी गाय रखते हैं और उसके गोबर व मूत्र से जीवामृत बनाते हैं। केवल इस जीवामृत के प्रयोग से ही जैविक खेती कर रहे हैं। किसान दीवान सिंह के अनुसार इस बीते रबी सीजन में उसने जैविक खाद से गेहूं की बढ़िया फसल ली है। यह गेहूं उसने 3100 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचा है।

Source: Krishi Jagran