आधुनिक पीढ़ी मे ऐसे पैदा करे कृषि के प्रति उत्साह

June 29 2018

मंगलुरु स्थित सीबीएसई विघालयों ने कृषि विज्ञान को पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बनाया। खेती पर छात्रों के लिए थ्यारी और प्रैक्टिक्ल दोनो प्रकार कि कक्षांए मैंगलोर में एक स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। शारदा विद्यानिकेतन पब्लिक स्कूल, जो सीबीएसई से अधिकृत है, ने 5 वीं से 10 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कृषि विज्ञान को अनिवार्य विषय के रूप में पेश किया है। रामानगर स्थित नेत्र क्रॉप साइंसेज के सहयोग से स्कूल ने प्रत्येक वर्ग के लिए अलग कृषि विज्ञान पाठ्यक्रम भी तैयार किया है

मंगलुरु के शारदा ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट्स के अध्यक्ष एमबी पुराणिक ने कहा कि इस अकादमिक वर्ष से मंगलुरु शहर के बाहरी इलाके तालापडी परिसर में समूह के तहत स्कूल में एक अनिवार्य विषय के रूप में कृषि विज्ञान शुरू किया गया। छात्रों के पास हर सप्ताह कृषि विज्ञान पर एक थ्योरी और दो प्रैक्टिक्ल कक्षाएं लगेंगी

शिक्षक, एक एमएससी (कृषि), पाठ्यक्रम को लागू करने का प्रभारी है। उन्हें चार डिप्लोमा धारकों द्वारा सहायता दी जाती है

यह पूछे जाने पर कि क्यों कृषि विज्ञान अनिवार्य विषय के रूप में पेश किया गया थ।, पुराणिक ने कहा कि इन दिनों कई बच्चे खासकर शहरी क्षेत्रों में  यह नहीं जानते कि कैसे फसल उगाई जाती है। उन्होंने कहा कि यह विषय उन्हें व्यवहारिक तौर पे अनुभव देगा।

स्कूल में विभिन्न सब्जी एंव फसलों की खेती करने के लिए क्षेत्र की मिट्टी का परीक्षण किया गया। उसके बाद छात्रों ने 3.5 एकड़ के क्षेत्र में लगभग 18 सब्जियों की खेती की। उन्होंने कहा कि स्कूल परिसर के आसपास के अप्रयुक्त धान क्षेत्रों पर धान की खेती करने के लिए योजनाएं चल रही हैं।

हालांकि परिसर में सब्जियों और बागवानी उपज का उपयोग किया जाए लेकिन आसपास के क्षेत्र में कृषि उपज का विपणन करने के लिए छात्रों की एक टीम का चयन करने के लिए योजनाएं भी उपलब्ध हैं। इस संबंध में परिसर के पास एक  सप्ताह आउटलेत कि सहायता से  उगाया हुआ उत्पाद बेचा जाएगा।

प्रभावी जल प्रबंधन के लिए भी पर्याप्त कदम उठाए गए हैं। एक 1-एमएलडी (एक लाख लीटर एक दिन) जल उपचार संयंत्र प्रयुक्त पानी के पुनर्चक्रण द्वारा मदद करता है। इस प्रकार प्राप्त पानी ड्रिप सिंचाई के माध्यम से फसलों पर इस्तेमाल किया जाएगा।

परिसर पिछले चार वर्षों से चार बोरवेल रिचार्ज करने के लिए हॉस्टल ब्लॉक समेत सभी इमारतों के छतों से कटाई के वर्षा जल का उपयोग कर रहा है। इससे इलाके में ज़मीनी पानी का का स्तर बढ़ाने में मदद मिली है। जिससे ग्राउंड वाटर टेबल रिचार्ज होता है।

Source: Krishi Jagran