Teach to farmers self-employment related to farming

February 07 2019

This content is currently available only in Hindi language.

किसानों की खुशहाली बढ़ाने के लिए जरूरी है कि उनकी आमदनी बढ़ाई जाए और यह लक्ष्य हासिल करने के लिए उन्हें कृषि से जुड़े क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाए। आप सभी ने उद्यमिता विकास द्वारा कृषकों के सशक्तिकरण का विस्तृत प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अब आप अपने कार्यक्षेत्र में ऐसा कार्य करें जिससे इस प्रशिक्षण का लाभ किसानों को स्वरोजगार स्थापना में  मिल सके।

राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय अंतर्गत कृषि महाविद्यालय में आयोजित  प्रशिक्षण के समापन अवसर पर यह बात कुलपति प्रो. एस. के. राव ने कही। समारोह में डॉ. वाय. डी. मिश्रा ने प्रशिक्षण पर रिपोर्ट का प्रजेन्टेशन देते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण में विशेषज्ञों के 35 व्याख्यान हुए साथ ही ट्रिपल आईटीएम, केवीके आदि में शैक्षणिक भ्रमण भी कराया गया। कुलपति प्रो. राव ने कहा कि किसानों को कृषि से संबंधित स्वरोजगार, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, मछली पालन आदि का इस तरह प्रशिक्षण दें कि वे सफलता पूर्वक अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकें। उन्हें स्वरोजगार के विविध पक्षों का कौशल सिखा दिया जाए तो वे खेती करते हुए अधिक आमदनी अर्जित कर सकेंगे।

अधिष्ठाता कृषि महा विद्यालय डॉ. एम.पी. जैन ने कहा कि इस प्रशिक्षण के उपरांत आप सभी फल-सब्जियों का प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन, मुर्गीपालन, मछली पालन आदि के लाभ किसानों तक पहुंचाएं ताकि किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण तेजी से हो।

समारोह का संचालन डॉ. वाय. डी. मिश्रा ने किया एवं आभार डॉ. शोभना गुप्ता ने जताया। इस अवसर पर संयुक्त संचालक विस्तार सेवाएं डॉ. यू. पी.एस. भदौरिया, कोर्स निदेशक डॉ. ओ.पी दैपुरिया सहित समस्त विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिकगण मौजूद थे।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

स्रोत: Krishak Jagat