Shop and house on agricultural land, still sold paddy

February 28 2019

This content is currently available only in Hindi language.

साहबों के कारनामें बड़े अजीब हैं। ये किसी जादूगर से कम नहीं। कुछ पल में कागजों में विकास, जांच, कार्रवाई और आकड़ों की कहानी गढ़ देने में माहिर हैं। इनकी पोल तब खुलती है, जब किसी जमीन से जुड़े आदमी से पाला पड़े। इसकी बानगी जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में देखने को मिली।

विभिन्न विकास और मुद्दों के एजेंडों पर पिछली बैठक में दी गई कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए 42 विभागों के अफसरों की फौज जुटी थी। बड़े-बड़े पोथे के साथ अफसर करीब 11.30 से जिला पंचायत के सभागार में आने शुरू हो गए थे। ठीक 12.38 पर जिला पंचायत अध्यक्ष शरादा देवी वर्मा और नए सीईओ गौरव सिंह आए।

गौरव ने हाल में सीईओ की कुर्सी संभाली है, लिहाजा परिचय आदि के साथ बैठक का दौर शुरू हुआ। इसमें कुछ चौंकाने वाले मामले भी सामने आए। कृषि विभाग के अधिकारी ने रिपोर्ट में बताया कि जिले में 37 प्रतिशत रकबा असिंचित है, लेकिन सीईओ द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब वे नहीं दे पाए। उनके पास जानकारी अपडेट नहीं थी।

इसी प्रकरण पर सदस्य ने कहा कि नहरें टूटी हैं, इनकी मरम्मत के लिए पिछली दो बैठकों में प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन आज तक नहर की मरम्मत नहीं हुई। इसका उत्तर देने के बजाय अधिकारी बड़े ही सहज भाव से बोले, साहब मैं सिर्फ रिपोर्ट लेकर आया, मैं पिछली बैठक में नहीं था। जो अधिकारी हैं, वे नहीं आए, इसलिए मैं आ गया। इस पर सीईओ ने तत्काल संबंधित अधिकारी को नोटिस देने के निर्देश दिए।

मचे हंगामे के बीच अभनपुर के जिला पंचायत सदस्यों ने आरोप लगाया कि उरला, भेलभाठा, खंडवा, कोहता में किसानों की जमीन को व्यापारियों ने खरीद ली है। वहां फसल नहीं ली जा रही, बल्कि आवास और दुकानें बन गई हैं। इसके बावजूद पटवारी और कृषि विभाग से मिलकर समितियों में पंजीयन कराकर फर्जी ऋण पुस्तिका बनाकर धान बेचा गया। जमीन की रजिस्ट्री से पूर्व किसानों के नाम पर फसल बीमा भी कर दिया गया। इसकी जांच कराने की मांग की, जिस पर जांच के निर्देश दिए गए।

गंभीर आरोपों और सवालों का जवाब नहीं दे पाए श्रमायुक्त

पहले दौर की बैठक में ही श्रम विभाग की कार्यशैली पर जनप्रतिनिधियों ने जमकर हंगामा मचाया। उनकी शिकायत थी कि पिछली बैठक में मांगी गई जानकारी, न्यूनतम मजदूरी और मजदूरों के शोषण की शिकायत की जांच नहीं की गई है। उनका कहना था कि जिस कंपनी में न्यूनतम मजदूरी और शोषण की शिकायत की गई थी, उस कंपनी के वहां नहीं होने की बात कह कर फाइल ही बंद कर दी गई। इसे श्रमायुक्त ने स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि नाम में गलती की वजह से नहीं ढूंढ़ पाए। इस पर सीईओ ने उनकी जमकर क्लॉस ली। बोले, संबंधित जनप्रतिनिधि को साथ लेकर जाते तो गलती नहीं होती। सदस्यों ने गंभीर आरोप लगाए।

कहा कि श्रम मित्र कार्ड बनाने के एवज से मजदूरों से जमकर धनउगाही की गई है। इसके बाद विधानसभावार बांटी गई 4000 हजार किट की जानकारी भी नहीं दे पाए। श्रमायुक्त का कहना था कि ऑनलाइन आवेदन में कुछ त्रुटियों के चलते अभी अपडेट नहीं कर पाए हैं। इस पर सीईओ ने कहा कि तीन दिन के अंदर सभी जांच कार्यवाही और जानकारी जिला पंचायत में आकर दें।

इन विभागों के अधिकारी भी नहीं दे पाए जानकारी

-उद्योग, कृषि, सिंचाई, अंत्यावसायी विभाग, आदिम जाति विकास विभाग सहित अधिकांश विभाग पिछली बैठक और चल रही मीटिंग के दौरान पुख्ता जानकारी नहीं दे पाए। सीईओ ने उन्हें कहा कि आइंदा सभी सूचनाओं को अपडेट करने के बाद आएं।

सीईओ बोले, सामान्य सभा को मजाक बना कर रख दिया

अधिकारियों की कार्यवाही के प्रति उदासीनता पर सीईओ गौरव सिंह बोले, आप लोगों ने सामान्य सभा को मजाक बनाकर रख दिया है। सामान्य सभा की ओर से मांगी गई जानकारी और मुद्दों को दरकिनार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही के लिए शासन को पत्र लिखेंगे।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

 

स्रोत: Nai Dunia