RAK कृषि कॉलेज के वैज्ञानिकों ने इजाद की सोयाबीन की 3 उन्नत किस्में

May 10 2018

सीहोर । शहर के आरएके महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की तीन नई किस्में इजाद की हैं। जो किसानों के लिए काफी लाभ दायक सिद्ध होंगी। ये सभी किस्में रोग प्रतिरोधक और कीट व्याधी हैं। साथ ही इन्हें मशीनों के जरिए आसानी काटा जा सकता है। शहर के आरएके कृषि महाविद्यालय में अखिल भारतीय सोयाबीन समनवायित प्रोजेक्ट में 50 वर्षों से विकास चल रहा है। जिसमें कॉलेज ने जवाहर 335 प्रदेश, देश और विदेशों में भी ख्याति प्राप्त है। बाद में प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से जवाहर 9305 और जवाहर 9560 का विकास हुआ। यह किस्में भी काफी लोक प्रिय हैं।

 

हाल ही में कॉलेज में जिन तीन किस्मों को इजाद किया गया उनमें राजविजय 18, जेवीएस 24 और जेवीएस 76 शामिल हैं। इनके बारे में कॉलेज के प्रमुख वैज्ञानिक ओर परियोजना प्रभारी डॉ. रामगिरी ने बताया कि सोयाबीन का आनुवंशिक विकास कॉलेज के परियोजना के विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सोयाबीन के उत्पादन कि उम्र 15 वर्ष होती है। इसके बाद पीला मोजेक, जड़ सड़न, सर्कोल सड़न और किट व्याधियां बढ़ने लगती है। उनके लिए किस्मों के अनुवांशिकी सुधार, अधिक उपज रोग निरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जीनों का समावेश करके सतत चलता रहता है।

 

उन्होंने आगे कहा मुझे इस बात को बताने की बड़ी खुशी है कि सोयाबीन प्रोजेक्ट सीहोर ने 2014 में सोयाबीन की नई किस्म सोयाबीन 2001-4 को प्रदेश के 10 से 15 प्रतिशत एरिया में फैलाव कर किसानों की आमदनी बढ़ाने में सराहनीय योगदान दिया। हमारे प्रदेश के मालवा क्षेत्र की जलवायु मौसम वर्षा तापक्रम को देखते हुए प्रदेश में सोयाबीन की ऐसी किस्में जो अधिक उपज, तेल और प्रोटीन के साथ-साथ लगभग 95 दिन में पकने वाली विभिन्न रोग प्रतिरोधन, कीट निरोधक होने के साथ ही ऐसी किस्म हो जिसकी मशीनों से कटाई हो सके। जिससे किकिसनों को भरपूर उत्पादन मिल सके। कॉलेज के सोयाबीन प्रोजेक्ट ने वैज्ञानिकों के सहयोग से नवीन किस्मों का विकास 2018 में किया। जिसका अनुमोदन भारत सरकार ने किया

 

इन तीन किस्मों को किया विकास

 

राजविजय सोयाबीन 18 - यह अधिक उपज देती है। पकने की अवधि 92 दिन, मशीन कटाई के लिए उपयुक्त है।

 

जेवीएस 24 - यह किस्म लगभग 95 दिन में तैयार होती है। इसका फूल सफेद होता है। यह किस्म पीला मोजेक रोग निरोधक और किट भ्रंग चक्र और हरी इल्ली की व्याधी के प्रति निरोधक है।

 

जेवीएस 76 - यह किस्म 95 से 98 दिन में पकती है। पौधा उंचा होता है। फूल गुलाबी और फली गुच्छे में लगती है। यह भी मशीन से कटाई के लिए उपयुक्त और कीट निरोधक व रोग प्रतिरोधक है।

 

किसानों को बीज के लिए करना पड़ेगा तीन साल इंतजार

 

सोयाबीन की सालाना ग्रुप मीटिंग मार्च माह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में संपन्न हुई। जिसमें आरएके कॉलेज में विकसित नवीन किस्म जेवीएस 76 की पहचान की गई। जिसे अब बीज के फैलाव के लिए अधिसूचना के लिए भारत सरकार को प्रेषित की जाएगी। इन सभी नवीन किस्मों का प्रारंभिक केंद्रक बीज और प्रजनक बीज दो से तीन वर्ष में उत्पादन कर किसानों के लिए प्रमाणित बीज उत्पादन के लिए प्रदेश की विभिन्न उत्पादन इकाइयों में पहुंचा कर किसानों को बीज निगम व सोसायटियों के माध्यम से किसानों को प्रदान की जाएगी। आरएके कॉलेज किस्मों के विकास के साथ-साथ केंद्र व प्रजनाक बीज बना कर शासन की इकाइयों को भेजा जाता है। जिससे उनका उत्पादन कर किसानों को दिया जाएगा।

 

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Source: Nai Dunia