Punjab got a big relief, established committee for debt settlement of 31 thousand crores

January 31 2019

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पंजाब को 31 हजार करोड़ के फूड अकाउंट पर बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह मुद्दा 15वें वित्त आयोग के सामने उठाया था। आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने इस मामले को निपटाने के लिए नीति आयोग के सदस्य डॉ. रमेश की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया है।

कमेटी छह हफ्ते में आयोग को रिपोर्ट सौंपेगी, जिसे अक्टूबर में दी जाने वाली रिपोर्ट में शामिल कर पंजाब को बड़ी राहत दी जा सकती है। कमेटी में केंद्रीय वित्त मंत्रालय, पंजाब सरकार व एफसीआइ का एक-एक प्रतिनिधि शामिल होगा। इस फूड अकाउंट को पूर्व सरकार ने कर्ज में तबदील कर दिया था। आयोग ने पंजाब सरकार को आश्वस्त किया कि इस मामले को निपटाने के लिए उनके अधिकार क्षेत्र में जो भी होगा वो किया जाएगा।

हालांकि, जब यह मुद्दा उठाया जा रहा था, तो एनके सिंह ने कहा कि यदि केंद्र सरकार इस पर राहत देती है, तो यह कैसे यकीनी होगा कि यही कर्ज फिर से नहीं चढ़ जाएगा? क्या इसके लिए कोई ढांचागत बदलाव किया गया है? इस पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बताया कि ट्रक यूनियनों को भंग कर दिया गया है, जबकि प्रमुख वित्त सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने कहा कि कई बदलाव किए गए हैं। हर साल एक फसल के लिए ली जाने वाली कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीएल) का जब तक पूरा हिसाब नहीं हो जाता, अगले साल की सीसीएल जारी नहीं की जाती है।

कैप्टन ने कहा कि एफसीआइ खरीद से मुंह मोड़ रहा है। पिछले दस सालों से एफसीआइ मात्र दस फीसद अनाज खरीद रही है और आर्थिक बोझ पंजाब की एजेंसियों को झेलना पड़ रहा है। विभाग के सचिव केएपी सिन्हा ने भी बारदाना और अन्य मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट की। इस मुद्दे पर आयोग के चेयरमैन और अन्य मेंबर्स ने कई सवाल पूछे, जिस पर चीफ सेक्रेटरी करण अवतार सिंह ने बताया कि अनाज की ढुलाई में देरी के कारण खराब होने वाले अनाज का बोझ राज्य सरकार पर पड़ता है।

270 करोड़ रुपये किश्त दे रहा पंजाब

पंजाब इस कर्ज के भुगतान के लिए 270 करोड़ रुपये प्रति महीना किश्त अदा कर रहा है। इस तरह 31 हजार करोड़ रुपये का 27 वर्षों में 86 हजार करोड़ रुपये अदा करना पड़ेगा।

किसान कर्ज में राहत नहीं

किसान कर्ज माफी में आयोग ने कोई राहत नहीं दी। आयोग ने कहा कि पंजाब फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी मैनेजमेंट एक्ट की सीमा को पार कर चुका है। इसलिए राहत देना संभव नहीं है। कैप्टन ने कहा कि उचित कीमत न मिलने के कारण यह बोझ किसानों पर पड़ा है।

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स्रोत: Jagran