Maize cultivation is good for earning

March 04 2019

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बिहार के जिले किशनगंज के किसान अब आर्थिक रूप से मजबूती ओर बढ़ रहे है। क्योकी अब किशनगंज के अधिकाधिक किसान मक्का (मकई) की खेती मे रूची दिखाने लगे है। अब मक्के की फसल में ये किसान आर्थिक भविष्य देख रहे है. जिले के छोटे-बड़े सभी किसानों को अब पटुआ और अदरख के फसल से मोहभंग होता जा रहा है. इन सभी किसानों का मानना है कि मक्के का उत्त्पादन अन्य फसलों के तुलना में बेहतर होता है.

मक्के की खेती राज्य में हर साल बढ़ती जा रही है. कृषि विभाग की तरफ से भी बताया गया है इस बार भी रबी फसलों में सबसे ज्यादा मक्के की खेती की जा रही है. इस बार किशनगंज में 9047 हेक्टेयर पर मक्का की खेती हो रही है. जबकि इसका विभगीय लक्ष्य 3 हेक्टयर ही रखा गया था. लक्ष्य से तीन गुना भू-भाग में मक्का लगाना साफ संकेत देता है कि किसान अन्य फसलों की तुलना में किसान मक्के की ओर ज्यादा आकर्षित हुए है.

कुछ वक्त पहले किशनगंज के किसान अदरक और पाट(पटुआ) की खेती सबसे ज्यादा करते थे. अभी देखा जाय तो जिलें में पोठिया प्रखंड में पटुआ की खेती सबसे अधिक हो रही है. मौसम का मिजाज ठीक रहा तो जिले में करीब 76 हजार 8 सौ एमटी मक्के का इस वर्ष उत्पादन होगा. किशनगंज जिले में सबसे अधिक मक्का उत्पादन ठाकुरगंज,पोठिया व दिघलबैंक प्रखंड में होता है

यहां के किसानों के लिए मक्के की फसल किसी वरदान से कम साबित रही है. माध्यम वर्गीय किसान मक्का को नगदी फसल के रूप में स्वीकार कर लिया है.जिससे जिले के किसान सशक्त हो रहे है. अब यहां के किसान भी मक्के के खेती बड़े चाव से करने लगे है. यहां के किसानों का मानना है कीं प्रति हेक्टर मक्का उत्पादन करीब 85-90 कुंतल होता है.

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स्रोत: Krishi Jagran