Government is going to fulfill the biggest demand of farmers

January 30 2019

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आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किसानों के हक में ऐतिहासिक फैसले लिए जा रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से खरीफ की फसलों के दामों में (एमएसपी - न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ोतरी कर किसानों के हक में बड़ा फैसला लिया गया था. लेकिन किसानों की भलाई की बात सामने आते ही सभी के जहन में सबसे पहले स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट आती है. किसान संगठन हमेशा से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग करते रहे हैं.

गौरतलब है कि अब केजरीवाल सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एमएसपी तय करने का फैसला किया है. बीते दिन दिल्ली सरकार के विकास मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली सरकार ने इस मामले पर विचार-विमर्श के लिए मंगलवार को कृषि सम्मेलन बुलाया है. विकास मंत्री ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में कृषि लागत मूल्य, दैनिक मजदूरी, परिवहन खर्चे, सिंचाई समेत दूसरे अलग- अलग फैक्टर होते हैं, ऐसे में उत्पादन लागत का आंकलन राज्य के हिसाब से होना चाहिए.

इस दौरान विकास मंत्री गोपाल राय ने कांग्रेस और भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि मोदी सरकार या पिछली कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने के लिए कुछ नहीं किया. दिल्ली सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के किसानों के लिए एमएसपी तय करने का फैसला किया है. उन्होंने आगे कहा कि रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए पिछले साल 4 दिसंबर को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. गेहूं व धान की फसल के उत्पादन लागत के आंकलन के लिए यह कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने दिल्ली के किसानों के लिए एमएसपी के संबंध में अपनी रिपोर्ट अब सरकार को सौंप दी हैं.

मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार अब इस मुद्दे पर प्रदेश में कृषि सम्मेलन का आयोजन कर रही है. जहां तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट को अच्छे सुझावों के लिए विशेषज्ञों के समक्ष रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि एक बार एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को अंतिम रूप दिए जाने के बाद केजरीवाल सरकार इस विषय पर किसानों की राय जानने के लिए उनके साथ बैठकें करेगी, उनके विचार जानेगी, तब इस पर मुहर लगाने के लिए कैबिनेट के पास भेजा जाएगा. बता दें कि दिल्ली में करीब 20 हजार किसान हैं.

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों की मुख्य बातें

  • किसानों को फसल उत्पादन मूल्य से 50 फीसद ज़्यादा दाम मिले.
  • किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज कम दामों में उपलब्ध कराए जाएं.
  • गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए.
  • महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं.
  • किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि बाढ़ आने या सूखा पड़ने पर किसानों को मदद मिल सके.

 

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स्रोत: Krishi Jagran