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प्रदेश के किसानों को कर्जमाफी का लाभ 15 दिन (22 फरवरी से) बाद मिलना शुरू होगा, लेकिन विधानसभा चुनाव के समय हुई कर्जमाफी की घोषणा के कारण बीते तीन माह में बैंक और किसानों को 13,500 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।चिव वित्त श्री अनुराग जैन, नाबार्ड के जनरल मैनेजर डॉ. डी.एस. चौहान, जनरल मैनेजर सुश्री एम. खेस और उप महाप्रबंधक श्री गौतम कुमार सिंह इस मौके पर उपस्थित थे।
बैंकों ने अपने स्तर पर किसानों के पास जाकर उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि खातों से पैसा निकालने और जमा करने से कर्जमाफी की राशि कम-ज्यादा नहीं होगी। लेकिन किसानों पर इसका फर्क नहीं पड़ा। नतीजतन दिसंबर के पहले हफ्ते से बैंक का कारोबार तेजी से घटने लगा। बैंकर्स ने अब मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर जल्द ही इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। वह सीएम के साथ 9 फरवरी को अहम बैठक करने जा रहे हैं।
यूं डूबा पैसा : एनपीए 16 हजार करोड़ हुआ, 20 फीसदी ही रह गया लेन-देन
2000 करोड़ रुपए बढ़ गया एनपीए: कर्जमाफी की घोषणा होने के बाद किसानों ने कर्ज चुकाना बंद कर दिया। इससे बैंकों का कृषि क्षेत्र से एनपीए 14,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 16,000 करोड़ रुपए हो गया।
केसीसी पर अब सात प्रतिशत ब्याज: 35 लाख किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड लिए हैं। इससे कर्ज लेने पर ब्याज में 3% की छूट मिलती है। यानी 4% ही ब्याज देना पड़ता है। घोषणा के बाद किसानों ने रिपेमेंट बंद कर दिया, जिससे केसीसी पर 7% ब्याज यानी 1400 करोड़ रुपए ज्यादा देने पड़ रहे हैं।
23 लाख हुए डिफॉल्टर किसान: बैंकों के डिफॉल्टर किसानों की संख्या 18 लाख थी। अब 23 लाख हो चुकी है। यानी चुनाव के बाद से 5 लाख ऐसे किसान थे जो पहले कर्ज चुका रहे थे, लेकिन अब नहीं चुका रहे।
बैंकों को 10,100 करोड़ का नुकसान: खातों से लेन-देन बंद होने से बैंकों को 10,100 करोड़ रुपए के कारोबार से हाथ धोना पड़ गया। क्षेत्रीय ग्रामीण और सहकारी बैंकों में कारोबार गिरकर 20 फीसदी तक रह गया। ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्र में सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र की बैंकों का भी यही हाल है।
30 लाख किसानों ने बंद किया लेन-देन: चुनाव के बाद कर्जमाफी 31 मार्च-2018 की कट ऑफ डेट पर बकाया कर्ज पर हो रही है। लेकिन इसके बाद भी 31 मार्च से 12 दिसंबर तक कर्ज लेने वाले 30 लाख किसान भी इस अास में न तो कर्ज चुका रहे और न ही बैंक खातों में कोई लेन-देन ही कर रहे हैं।
किसानों को कर्ज की अदायगी के लिए समझाए सरकार: बैंक पहले ही संकट से जूझ रहे हैं। कई बैंक बढ़ते एनपीए के कारण आरबीआई की निगरानी सूची में है। ऐसे में किसानों का यह रवैया उनकी और परेशानी बढ़ा सकता है। हम सरकार से मदद मांग रहे हैं कि वे किसानों को समझाएं कि वे बाकी कर्जों की अदायगी चालू करें। ऐसा न करके वे अपना ही नुकसान कर रहे हैं। साथ ही बैंक में पैसा जमा करने और निकालने से उनकी कर्जमाफी की पात्रता न तो बढ़ेगी न घटेगी। अब तो इसके लिए फाॅर्म भी भरे जा चुके हैं। -अजय व्यास, समन्वयक, स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी,मप्र
बैकों की मदद करेंगे :
बैंक हमारे पार्टनर हैं। उनके साथ मिलकर कर्जमाफी कर रहे हैं। बैंकों की जो भी समस्या है, वह हमारी जानकारी में है। उनकी हरसंभव मदद करेंगे।
-तरुण भनोट, वित्त मंत्री, मप्र
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स्रोत: Bhaskar