डबरा/भितरवार। प्रदेश के 25 जिलों के किसानों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से वर्ष 2015 में राइस लैब 50 लाख रुपए की लागत से बनवाई गई, जो बागबई स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र में बनकर तैयार हो चुकी है। लेकिन तीन साल से इंतजार सिर्फ इस बात का है कि कोई मुख्य अतिथि यहां आकर फीता काटकर इसका शुभारंभ कर दे। दो साल पहले कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन का आना तय भी हुआ था, लेकिन कार्यक्रम टल गया। इसके साथ ही किसानों को इस लैब से मिलने वाला लाभ भी टल गया।
शुभारंभ हो तो आएं टेक्निशियन
राइस लैब का शुभारंभ होने के बाद यहां लैब टेक्निशियन की भी भर्ती होगी, जो किसानों को धान की विभिन्न क्वालिटी के बारे में जानकारी देंगे। उन्हें यह भी बताएंगे कि किस धान की अधिक पैदावार कहां हो रही है। किसान ये जान पाएंगे कि वह अपने खेतों पर कौन सी धान की पैदावार करें। मिट्टी परीक्षण के अनुसार ही किसानों को धान की पैदावार करने की सलाह भी दी जाएगी।
प्रदेशभर की धान एक ही जगह एकत्रित होगी
लैब बनने के बाद प्रदेश में किन-किन जगहों पर कौन से धान होती है, उन सभी धान को लैब में एकत्रित किया जाएगा और किसानों को धान की विभिन्न प्रजातियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। लैब में लोकल जर्म प्लाजमों को भी इकट्ठा किया जाएगा। इनमें प्रमुख धान कालीमूछ को भी शामिल किया जाएगा।
किसानों को उपलब्ध होगा हर तरीके का बीज
राइस लैब में कृषि वैज्ञानिकों की ओर से प्रदेशभर में हो रहे धान के बीजों के बारे में जानकारी दी जाएगी, साथ ही बीजों का परीक्षण कर कृषि वैज्ञानिक यह जान सकेंगे कि किस बीज से कितनी मात्रा में धान का उत्पादन होगा। किसानों को यह फायदा होगा कि अच्छी धान की बीज के लिए अब कहीं भटकना नहीं पड़ेगा और उन्हें कृषि अनुसंधान केंद्र से ही सस्ते दामों में बीज उपलब्ध हो जाएगा।
इनका कहना है
राइस लैब के शुभारंभ को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, ताकि राइस लैब का शुभारंभ हो सके - डॉ. बीएस कंषाना, प्रभारी अधिकारी कृषि अनुंसधान केंद्र बागबई
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Source: Nai Dunia