एक तरफ पूरा देश पराली के प्रदूषण से परेशान है। वही दुसरे तरफ देश के हरियाणा राज्य के सिरसा के चार गाँवो के लगभग 500 परिवारों के पराली उनके रोजगार का जरिया बन चुका है। यहाँ के लोग पराली को जलाते नहीं है बल्कि उसकी रस्सी बनाके उससे लाखो कमा रहे है। ये परिवार पर्यावरण को दूषित होने से बचा तो रहे है और साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में रोजगार की नई उम्मीद भी जगा रहे है।
आप को बता दे की ये परिवार आसपास के गावों से पराली इक्क्ठा कर उसकी रस्सी तैयार कर लेते है और इसे बेच देते है। पराली से बनी हुई रस्सी गेहू के कटाई के समय बंडल बनाने के काम आता है। ये 500 परिवारों के लोग सिरसा के चक रइया, चक साहिब, ओटू और मंगला गांव के है। इन गाँवो के लोग धान की फसल के कटाई के समय पराली खरीद लेते है। इस पराली से लगभग 3 माह तक रस्सी बनाते है।इन रस्सी को गेहू की कटाई के समय बेच देते है।ये काम ये लोग कई पीढ़ियों से करते आ रहे है।
गेहू की फसल के कटाई के दौरान ये लोग पराली से बनाई हुई रस्सियों को ज्यादातर सिरसा, हिसार, फतेहाबाद में बेचते है। ये लोग 1000 रस्सी को 500 रूपये में बेचते है| इस हिसाब से ये २ रस्सी का दाम एक रूपया हो गया। इस तरह एकड़ से 50000 कमा लेते है। आप को बता दे की एक परिवार के लोग लगभग 5 से 10 एकड़ की पराली को खरीद कर रस्सी बनाते है। ये लोग रस्सी बनाने का काम लगभग 3 महीने तक करते हैं।
हमें ये जानकारी चरकइया निवासी कालूराम और अमरीक सिंह ने बताया है। इन लोगो का कहना है की हमें तो नया रोजगार मिल गया है। कालूराम का कहना है की हम लोग पराली खरीदते है उसके बाद हम इसकी रस्सी बनाते है उसके बाद हम गेहूं के कटाई के सीजन में हम इसे बेचकर अच्छा मुनाफा कमा लेते है|
Source: Krishi Jagran

 
                                
 
                                         
                                         
                                         
                                         
 
                            
 
                                            