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छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में तहलका मचाने के बाद अब कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गे की बांग उत्तर प्रदेश के बहराइच में भी सुनाई देने लगी है. पशु चिकित्सा विभाग की मदद से बहराइच के एक प्रगतिशील किसान ने कड़कनाथ के चूज़े और तैयार मुर्गी-मुर्गा मंगवाए हैं. औषधीय गुण, सबसे कम फैट, चटखदार काले रंग, हमेशा याद रहने वाले लजीज स्वाद आदि के लिए पहचाना जाने वाले कड़कनाथ का मांस, चोंच, कलंगी, जुबान, टांगें, नाखून, चमड़ी सभी काले होते हैं. इसमें प्रोटिन की लगभग 25 प्रतिशत मात्रा पाई जाती है. वहीं फैट .07 पाया जाता है. यही वजह है कि इसे औषधीय गुणों वाला मुर्गा माना जाता है. हृदय व डायबिटीज रोगियों के लिए कड़कनाथ रामबाण का काम करता है.
मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके झाबुआ से पशुपालन विभाग ने जरवल के किसान मोहम्मद गुलाम को कड़कनाथ के 300 चूजों और 50 तैयार मुर्गी-मुर्गा मंगवाकर दिए हैं. यह प्रजाति जितना मांसाहारी खाने वालों के लिए फायदेमंद है उतना ही इसका पालन करने वाले किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है क्योंकि जहां पहले से पाले जा रहे पारंपरिक मुर्गे का मीट 120 रुपये से 150 रुपये किलो तक बिकता है वहीं कड़कनाथ का मीट 500 रुपये किलो से लेकर 1000 रुपये किलो तक बिकता है. कड़कनाथ मुर्गी का एक अंडा 50 रुपये तक आसानी से बिक जाता है. इसलिए इस प्रजाति की विशेष अहमियत है और इसके उत्तर प्रदेश के बहराइच पहुंच जाने से दूसरे किसानों का भी लाभ होगा क्योंकि अब इसके चूजों को भी बहराइच में ही पैदा कराने की तैयारी हो रही है.
बहराइच के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी बलवन्त सिंह ने एनडीटीवी को बताया, कड़कनाथ पालन में प्रदेश के बरेली ज़िले के बाद बहराइच दूसरा जिला है जो इस ओर अग्रसारित हो रहा है. यही वजह है कि बहराइच में चार किसानों ने पहल की है, उनका मानना है कि कड़कनाथ स्वास्थ्य की दृष्टि से अति उत्तम है और छोटा किसान भी कम पूंजी में कड़कनाथ पाल कर अच्छा मुनाफा कमा सकता है.
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स्रोत: NDTV India