मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा तय की गई अवधि गुजर जाने के बावजूद उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं के पुनर्वास का काम पूरा नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री ने बीती 3 जनवरी को राज्य के सभी जिलाअधिकारियों को जिले में खुलेआम घूम रहे आवारा पशुओं को गौशालाओं में पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में कहा था कि आवारा पशुओं की वजह से प्रदेश में फसलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है, लिहाजा इस पर लगाम कसी जाए।
ललितपुर में गौशालाओं का प्रबंधन जनभागीदारी के जरिए किया जा रहा है। इसके अलावा फिरोजाबाद में मनरेगा कोष के धन को ऐसे पशुओं के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इटावा में ऐसे पशुओं की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित किया गया है। साथ ही स्थानीय लोगों की मदद से ऐसे पशुओं के लिए चारे का इंतजाम किया जा रहा है।
बस्ती जिला प्रशासन ने ऐसे पशुओं की जानकारी देने के लिए एक हेल्प लाइन बनाई है। जिलाधिकारी राजशेखर ने बताया कि अनेक लोगों ने उन्हें बताया है कि मवेशियों के मालिक उन्हें किस तरह सड़कों पर छोड़ देते हैं। ऐसे में आम लोगों को यह नहीं मालूम होता कि वे इसकी सूचना किसे दें। इसीलिए यह हेल्पलाइन शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018-19 में गो कल्याण के लिए 95 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इसके अलावा उसने कुछ जन सेवाओं पर 0.5% का कर लगाया है ताकि गौशालाओं का समुचित रखरखाव हो सके।
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स्रोत: Gaon Connection