सिर्फ डेयरी के जरिए ही दोगुनी हो सकती है किसानों की इनकम- आर एस सोढ़ी

November 02 2017

केंद्र सरकार के 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल करने में डेयरी सेक्टर की भूमिका विषय पर शुक्रवार को भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद यानी इंडियन काउंसिल ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (आईसीएफए) ने राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता कृषि मंत्रालय में डेयरी और पशुपालन विभाग के सचिव देवेंद्र चौधरी ने की।

डेयरी के विकास में निजी सेक्टर सरकार का साथ नहीं देता- देवेंद्र चौधरी

डेयरी सचिव ने डेयरी और पशुपालन के क्षेत्र में सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं का लेखाजोखा पेश किया। उन्होंने कहा कि 2024 तक दुग्ध उत्पादन 300 मिलियन टन करने का लक्ष्य है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन, भारतीय नस्लों की गायों के विकास की योजना, पशुओं की ऑन लाइन खरीद फरोख्त के लिए ई पशुहाट जैसी तमाम योजनाओं का जिक्र करते हुए श्री चौधरी ने कहा देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाना, पशुओं की नस्ल सुधारने, पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल करने और उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने में सरकार लगातार काम कर रही है, ये काम अकेले सरकार के बस का नहीं है, उन्होंने इसमें निजी सहभागिता पर जोर दिया। श्री चौधरी ने बताया कि सरकार ने 11 हजार करोड़ का डेयरी प्रोसेसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (डीआईडीएफ) बनाया है, जिसमें आने वाले वर्षों में देश में दूध खरीद और प्रसंस्करण के ढांचे को बढ़ाने, बीएमसी और चिलर स्थापित करने, मिलावट को रोकने पर जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि सरकार अकेले ये काम नहीं कर सकती इसमें निजी कंपनियों की भागीदारी जरूरी है लेकिन निजी कंपनियों ने खुद को सिर्फ दूध बेचकर मुनाफा कमाने तक सीमित कर लिया है और वो डेयरी किसान और पशुओं के कल्याण में आगे नहीं आना चाहती हैं।  श्री चौधरी ने दूध के अलावा योगर्ट और चीज जैसे प्रोडक्ट का उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया।

ग्रामीण क्षेत्र में युवाओँ को पशुपालन और डेयरी से जोड़ने की जरूरत-सोढ़ी

देश की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी अमूल के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि कहा कि सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य सिर्फ डेयरी सेक्टर ही पूरा कर सकता है। उन्होंने युवाओं को डेयरी सेक्टर से जोड़ने पर बल देते हुए कहा यही एक ऐसा सेक्टर है जो ग्रामीण क्षेत्र में युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार दिला सकता है। श्री सोढ़ी ने कहा कि व्यवसायिक डेयरी फार्मिंग के जरिए किसान 15 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से अपनी कमाई बढ़ा सकता है और इस तरह 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने सरकार से डेयरी और पशुपालन का बजट बढ़ाने,  डेयरी को कृषि में शामिल करने और व्यवसायिक डेयरी किसानों को इनकम टैक्स के दायरे से बाहर रखने की अपील की। श्री सोढ़ी ने विदेशों से सस्ते निचले दर्जे के डेयरी उत्पादों का आयात रोकने की भी अपील की। श्री सोढ़ी ने आंकड़े पेश  करते हुए कहा कि देश में डेयरी इंडस्ट्री करीब 6 लाख करोड़ की है और महज एक लाख करोड़ ही ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में है बाकी असंगठित है, यानी निजी कंपनियों के लिए अभी अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए बहुत कुछ है।

डेयरी,पशुपालन क्षेत्र में  भविष्य की जरूरतों के मुताबिक रिसर्च पर जोर

कॉन्फ्रेस के दौरान इंडियन डेयरी एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. जी एस राजौरिया ने कहा कि देश में गायों की 40 और भैंस की 13 ब्रीड जरूर है लेकिन इनमें गाय की कुछ नस्ल ही अच्छी मात्रा में दूध देती हैं, इसे रिसर्च के जरिए बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने सरकार से डेयरी किसानों तक उनके वेलफेयर की योजनाएं पहुंचाने की अपील की। यूपीएल ग्रुब के डेयरी बिजनेस हेड और डेयरी एक्सपर्ट विजय सरदना ने डेयरी क्षेत्र के विकास में विजन और लीडरशिप की कमी की बात कही। उन्होंने डेयरी सेक्टर में प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी का मुद्दा भी उठाया, साथ ही सरकारी विभागों और कृषि विश्वविद्यालयों को आज की जरूरत के मुताबिक ढालने पर जोर दिया। आईसीएआर में एनिमल साइंस विभाग के उपमाहनिदेशक डॉ. जयकृष्ण जेना ने भविष्य की जरूरतों के हिसाब से रिसर्च को बदलने को जरूरी बताया।

दूध में मिलावट सबसे बड़ी समस्या, बड़ा सवाल…कैसे होगी दूर ?

कान्फ्रेंस के दौरान आनंदा डेयरी के सीएमडी आर एस दीक्षित ने कहा कि सरकार को दूध के फायदों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए मुहिम चलानी चाहिए। श्री दीक्षित ने जीएसटी और मंडी टैक्स का मुद्दा भी उठाया। चर्चा के दौरान क्वालिटी एक्सपर्ट डॉ. शोहराब ने डेयरी सेक्टर में हर हाल में उच्च गुणवत्ता को बनाए रखने पर जोर दिया। कॉन्फ्रेंस के दौरान नेस्ले फूड के एवीपी मनमीत सिंह अनेजा समेत तमाम वक्ताओं ने दूध और दूसरे डेयरी प्रोडक्ट में मिलावट का मुद्दा जोरशोर से उठाया और इसे रोकने के लिए कोई कारगर उपाय अब तक नहीं बन पाने पर निराशा भी जताई। हालांकि एफएसएसएआई में डेयरी के हेड सुनील बक्शी ने कहा कि डेयरी प्रोडक्ट की जांच के लिए पूरा सिस्टम बना हुआ है। लेकिन वो अपनी दलीलों से कॉन्फ्रेंस में शामिल लोगों को संतुष्ट नहीं कर पाए। कॉन्फ्रेंस के दौरान डेयरी के क्षेत्र में बैंकों की तरफ से लोन में धांधली और जरूरतमंदों को लोन नहीं मिलने जैसे अहम विषय पर कोई चर्चा नहीं हो पाई, जाहिर है कि डेयरी के विकास में लोन नहीं मिलना एक बड़ी समस्या है, डेयरी को कृषि में शामिल नहीं किया गया है और बैंक इसी का बहाना बनाकर डेयरी स्थापित करने वालों को लोन देने से मना कर देते हैं।

डेयरी के विकास के लिए वर्किंग ग्रुप बनाने का विचार- डॉ. एम जे खान

आईसीएफए के चेयरमैन एम जे खान ने कहा कि इस राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के जरिए उनका मकसद डेयरी इंडस्ट्री के शीर्ष लोगों को एक मंच पर लाकर डेयरी के विकास और डेयरी किसानों की हालत सुधारने पर मंथन करना था। उन्होंने कहा कि वो आगे डेयरी क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान देने और सरकार को सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों का एक वर्किंग ग्रुप बनाने पर भी विचार कर रहे हैं। इस मौके पर आईसीएफए ने डेयरी सेक्टर पर अपनी स्टडी रिपोर्ट भी रिलीज की। कॉन्फ्रेंस में तमाम सरकारी विभागों, निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अंत में आईसीएफए की निदेशक ममता जैन ने सभी का आभार जताया।

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Source: Dairy Today