सही तरीकों से कीटनाशको का इस्तेमाल आवश्यक : डॉ. प्रेम कुमार

December 08 2017

बिहार के कृषि मंत्री डा॰ प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य के कुछ क्षेत्रों से रबी फसलों में कीट व्याधियों के प्रकोप की सूचना प्राप्त हो रही है फसलों को कीट व्याधियों से सुरक्षा हेतु सभी आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय करने का निर्देश विभागीय पदाधिकारियों को दिया गया, साथ ही किसानों को भी सलाह दी जाती है कि कीट व्याधि का प्रकोप होने पर जल्दबाजी में अनावश्यक रासायनिक किटनाशको का प्रयोग नहीं करें. पूरी जानकारी प्राप्त कर अनुशंषित मात्रा में ही दवाओं का छिड़काव करें.

पटना जिला के शिवनार एवं पंडारक टाल क्षेत्र में मसूर, चना, केराव (मटर) आदि के फसल लगे हुए हैं, जो अभी बढवार अवस्था में है. इन क्षेत्रों में लगे मसूर तथा (मटर) के फसलों के जल्ला कीट से प्रभावित होने की सूचना प्राप्त हो रही है, जल्ला कीट के प्रकोप के कारण मसूर तथा केराव फसल के पत्ते आपस में जुड़कर सूख जाता है. इन पत्तों के अन्दर जल्ला कीट का पिल्लू रहता है. चूँकि पिल्लू का आकार काफी छोटा होता है,  इसलिए किसान बन्धू इसे देख नहीं पाते हैं . जल्ला कीट के उपचार हेतु  कृषको के द्वारा फेनभेलरेट सहित अन्य कीटनाशी के पाउडर का छिड़काव किया जा रहा है, जिससे यह नियंत्रित नहीं हो पा रहा है. किसान जल्ला कीट के उपचार हेतु इमामेक्टीन बेनजुएट 5 प्रतिशत एस0 जी0 का 100 ग्राम प्रति हे0 एवं मीराकुलान 20 एम0 एल0 के साथ स्टीकर 10 एम0 एल0 प्रति टंकी छिड़काव करें. इससे इस कीट के नियत्रण में काफी सहायता मिलेगी.

मंत्री ने कहा कि मसूर, केराव एवं चना अभी बढवार की अवस्था में है. मसूर एवं चना की फसल पर स्पोडेप्टेरा का छिटपुट रूप से प्रभाव देखा जा रहा है. किसान भाई स्पोडेप्टेरा एवं फलीछेदक कीट के प्रबंधन हेतु दोनों कीट के 10 फेरोमोन ट्रैप प्रति हे0 की दर से खेतों में लगायें.

डॉ. कुमार ने कहा कि इन क्षेत्रों के किसानों को पौधा संरक्षण संभाग के पदाधिकारियों द्वारा इन कीटों से बचाव की जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है. विभाग के द्वारा सभी तरह के फफूंदीनाशक , कीटनाशी  एवं खरपतवारनाशी के कीमत का 50 प्रतिशत अधिकत्तम 500 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान चिन्हित प्रतिष्ठानों के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है. किसानों को टाल विकास योजनान्तर्गत यह अनुदान अधिकत्तम 5 हेक्टेयर तक देय है. जैविक खेती प्रोत्साहन योजनान्तर्गत फेरोमोन ट्रैप के कीमत का 90 प्रतिषत अधिकतम 900 रू0 तथा जैव कीटनाशी की कीमत का 50 प्रतिशत अधिकतम 500 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से किसानों को अनुदान दी जा रही है. जैविक खेती प्रोत्साहन योजनान्तर्गत अधिकतम 2 हेक्टेयर तक यह अनुदान देय है.

उन्होंने राज्य के कृषकों से अपील किया कि फसलों पर अनावश्यक  रूप से कीटनाशी एवं फफूंदीनाशक का छिड़काव अथवा भूरकाव न करें. अगर आवश्यक हो तो कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर अनुषंसित मात्रा में ही कीट एवं व्याधि के नियंत्रण हेतु कीटनाशी अथवा फुफुँदनाशी दवा का व्यवहार करें.

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Source: Krishi Jagran