खेतो में काम करने में महिलाएं भी पुरूषों से कहीं कम नही हैं. तमिलनाडु के कृष्णगिरि जिले की महिला किसान सरस्वती उन महिलाओ मे से है जो अपनी खेती करके न केवल अपना परिवार चला रही है बल्कि गांव की महिलाओं के उत्थान के लिए भी सक्रिय हैं. महिला किसान सरस्वती ने कृषि भूमि को वैकल्पिक उपयोग और आधुनिक कृषि को अपनी सफलता का मन्त्र बनाया. इसी कारण सरस्वती ने साल 2017 में महिला किसान अवार्ड (किसान रत्न) से भी नवाजा गया.
सफल किसान बनने के लिए सरस्वती ने मार्डन खेती की नई तकनीकी का सफलतम और फायदेमंद इस्तेमाल किया. अनाज के अलावा सहायक उत्पाद विकसित किए और उनकी वहनीयता और प्रभावी विपणन के माध्यम से अपनी कृषि आय में अच्छी-खासी बढ़ोतरी कर ली. सरस्वती गांव में अब अपने पैरो पर खड़ी है वे धान के अलावा केला, शहतूत, आम, नारियल और गायों के लिए हरा चारा तक भी उगाती है. बारिश के मौसम वे आम के पौधों का रोपण भी करती है और मौसम के अनुरूप बजारे की भी खेती करती है. आप को बता दे की सरस्वती साल भर में चार सौ से पांच सौ किलो कूनन का भी उत्पादन करती है. आज के समय उनके पास 1000 मुर्गी और चार गाय और चार बकरी है. हल से लेकर खेत तक ज्यादातर काम सरस्वती खुद ही करती है. जब कभी भी उनको जरुरत होती है वे श्रमिकों की मदद लेती है. सरस्वती गांव में आटा चक्की भी चलाती हैं और कुटीर उद्योग के रूप में आम की पिसाई, अचार बनाना और पाउडर निर्माण का कार्य करती हैं.
सरस्वती को आधुनिक कृषि और मूल्य संवर्धित उत्पादों की तकनीक सिखाने में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) कृष्णगिरि की मुख्य भूमिका रही. वे बताती है कि परीक्षण और परामर्श से उन्हें खेती करने के लिए उन्हें नए तरीके मिले. अब वह गांवो के अन्य किसानों को आधुनिक तरीकों के बारे में बताती हैं. उन्होंने अपने गांव में 20 सदस्यों वाले आत्म किसान उत्पादक समूह के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह इस समूह की पहली अध्यक्ष भी बनीं. उन्होंने नाबार्ड की मदद से आयोजित सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से 20 महिलाओं को रोजगार दिलाया. परिवार और समाज में सरस्वती की भूमिका को ध्यान में रखते हुए ही उनको महिला किसान अवार्ड (किसान रत्न) 2017 के लिए नामित किया गया हैं.
Source: Krishi Jagran