राजस्थान की खानों में हो रहा पर्यावरण नियमों का जमकर उल्लंघन

March 03 2018

जयपुर। अपनी खनिज सम्पदा के लिए पहचाने जाने वाले राजस्थान की खानों में पर्यावरण नियमों का जम कर उल्लंघन हो रहा है। इसके लिए खान मालिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरण नियमों का पालन कराने के लिए जिम्मेदार प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की लापरवाही भी उजागर हुर्ह है।

नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (सीएजी) की हाल में विधानसभा में रखी गई रिपोर्ट में इस मामले में गम्भीर टिप्पणियां की गई है। हालात यह है कि सीएजी ने जिन 136 खनन पट्टों की जांच की उनमें से राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने 2010 से 2017 के बीच सात वर्षो में सिर्फ 36 पट्टों का निरीक्षण किए और इन पट्टों की जांच रिपोर्ट भी भरोसे लायक नहीं मानी गई।

राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण स्वीकृति नहीं लेने के मामले में ही बजरी खनन पर रोक लगा रखी है और पूरा प्रदेश इससे परेशान हो रहा हैं। सीएजी की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पर्यावरण नियमो की पालना के मामले में राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन भी नहीं किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अरावली पर्वत श्रृंखला में खनन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का जबर्दस्त उल्लंघन पाया गया और खनन पट्टों को रिन्यु कर बढ़ाया गया। यही नहीं अव्यवस्थित होने के बावजूद इस क्षेत्र में खनन पट्टों के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति जारी कर दी गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे राज्य में अवैध खनन गतिविधियां अनियंत्रित रूप से हो रही है। अवैध खनन की गतिविधियों का न फाॅलोअप किया गया और न ही रोकने के लिए कोई गम्भीर प्रयास किए गए। यहां तक की अवैध खनन करने वालो को नोटिस देने, मांग प्रस्तुत करने और जुर्मान वसूलने में भी काफी देरी की जाती रही, इससे उनमें कोई डर ही नहीं रहा।

यह भी कहा गया है रिपोर्ट में

- कुछ प्रधान खनिजों पर 2008 में पर्यावरण व स्वास्थ्य सैस लगया गया, लेकिन इसका उपयोग पर्यावरण व स्वास्थ्य रक्षा के बजाए किसी और काम में किया गया। इसी तरह पर्यावरण प्रबंधन कोष मे भी 295.03 करोड़ रुपए एकत्र किए गए, लेकिन इसे खर्च के लिए गाइडलाइन्स ही नहीं बनाई गई और पैसा फालतू पड़ा रहा।

- पूरे प्रदेश में बिना स्वीकृति के ही खानें चल रही है।

- पर्यावरण स्वीकृति के बिना और शर्तों का उल्लंघन कर अधिक खनन किया गया।

- राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने अपनी जांच में भी पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित नहीं किया।

- वृक्षारोपण, गारलैण्ड नालियों के निर्माण, वायु और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपायों आदि में गम्भीर कमियां पाई गई।

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Source: Naiduniya