यूपी सरकार की योजना से हरदोई जिले में फिर जगी श्वेत क्रांति की आस

January 09 2018

उत्तर प्रदेश सरकार की स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग के लिए वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना से जिले में श्वेत क्रांति को एक बार फिर से बढ़ावा मिलने की उम्मीद जगी है। जिले के डेयरी उद्योग को इसमें शामिल किया गया है। इससे दुग्ध अवशीतन केंद्र का पुन: संचालन होने से डेयरी उद्योग से जुड़े पशुपालकों को अब दूध बिक्री के लिए अधिक मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। हालांकि अभी इसमें समय अधिक लग सकता है और सभी दुग्ध समितियों को सक्रिय भी करना होगा।

दूध उत्पादन को बढ़ावा देने और उत्पादित दूध को बाजार उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश प्रादेशिक को-आपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड के माध्यम से दुग्ध अवशीतन केंद्र की स्थापना हुई। फेडरेशन ने समितियों के गठन के साथ ही पशुपालकों को जोड़ा और उत्पादित दूध को क्रय कर अवशीतन केंद्र के माध्यम से ठंडा कर सूबे की राजधानी लखनऊ में बाजार उपलब्ध कराया। समय के साथ फेडरेशन ने करीब 12 से 15 हजार लीटर दूध उत्पादन में नाम बना लिया, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते हालात यह हुए कि पशुपालकों को उनके मूल्य का भुगतान तो दूर फेडरेशन के कार्यालय संचालन और कर्मियों के वेतन के भी लाले पड़ गए। पिछले तीन-चार साल में तो हालात यह हो गए कि दूध के एकत्रीकरण की मात्रा 700-800 लीटर पर सिमट गई।

बताया गया कि दूध की मात्रा कम होने से दूध के एकत्रीकरण, अवशीतन एवं परिवहन पर लागत से कहीं अधिक खर्च आने लगा और यह प्रति लीटर 4.50 रुपये तक पहुंच गया। जिससे चलते केंद्र को बंदी की कगार पर आ गया। इसी बीच शासन ने एक बार फिर दम दिखाया और अवशीतन केंद्र संचालन शुरू कराया गया। वर्तमान में करीब 3 हजार लीटर दूध केंद्र तक पहुंचने लगा है।

600 पशुपालकों को 40 समितियों से जोड़ा गया

जिले में ठप हो चुके पराग दुग्ध अवशीतन केंद्र के संचालन के लिए आक्सीजन मिलते ही दुग्ध समितियों को सक्रिय किए जाने के लिए कार्य शुरू कराया गया। पराग डेयरी की स्थानीय इकाई के महाप्रबंधक मनीष कुमार चौधरी का कहना है कि अवशीतन केंद्र संचालन से दुग्ध एकत्रीकरण की क्षमता में दिन प्रतिदिन वृद्धि की जा रही है। दूध की मात्रा बढ़ाए जाने के लिए पशुपालकों को समितियों से जोड़ने के लिए समितियों को सक्रिय किया जा रहा है। बताया की 40 समितियों को सक्रिय कर 600 पशुपालकों को उनसे जोड़ा गया है। सभी पशुपालक दूध को समितियों के माध्यम से पराग को उपलब्ध करा रहे हैं।

दूध, दही, खीर आदि के लिए खुला था पार्लर

वर्तमान में भले ही कलेक्ट्रेट में पराग मिल्क पार्लर बंदी की स्थिति में हो, लेकिन एक समय में उत्पाद को ब्रां¨डग और बाजार में पै¨कग में उपलब्ध कराने के लिए कलेक्ट्रेट परिसर में पार्लर संचालित किया गया था, जहां पर लखनऊ एवं अन्य इकाईयों से आने वाला पालीपैक दूध, दही, खीर, पेड़ा, घी आदि बिक्री के लिए उपलब्ध रहता था।

पराग डेयरी की स्थानीय इकाई के महाप्रबंधक मनीष कुमार चौधरी का कहना है कि शासन के सहयोग से अवशीतन केंद्र का संचालन 27 दिसंबर से शुरू कराया गया है। दूध एकत्रीकरण की मात्रा को बढ़ाकर 3 हजार लीटर तक पहुंचा लिया गया है। जिसे ठंडा करने के साथ ही लखनऊ भिजवाया जा रहा है। बताया कि दुग्ध समितियों को सक्रिय करने एवं पशुपालकों को जोड़ने के लिए निरंतर बैठक की जा रही हैं। वह कहते हैं कि समितियों एवं पशुपालकों ने दूध मूल्य भुगतान की समस्या उठाई थी, जिसका समाधान किया गया है। 31 दिसंबर तक क्रय किए गए दूध का शत प्रतिशत भुगतान किया जा चुका है। वह कहते हैं कि दूध एकत्रीकरण मात्रा को फिर से 12 से 15 हजार लीटर प्रतिदिन तक ले जाना है। जिससे अवशीतन, एकत्रीकरण एवं परिवहन खर्च में कमी लाई जा सकेगी और प्रति लीटर 1 रुपये तक खर्च को सीमित कर आमदनी में वृद्धि की जाएगी।

दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से जिले में कामधेनु, मिनी कामधेनु डेयरी योजना में 20 इकाई की स्थापना कराई गई है। महाप्रबंधक का कहना है कि डेयरी संचालक समिति के माध्यम से फेडरेशन को दूध की बिक्री कर सकेंगे।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

Source- Dairy Today