यह गाय प्रतिदिन देती है 12 लीटर से अधिक दूध...

January 05 2018

भारत विश्व में दुग्ध उत्पादन में पहले स्थान पर है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारत में दूध उत्पादन बहुत बड़े पैमाने पर होता है. इसी का नतीजा है कि आज विश्व बाजार में भारतीय दूध विश्व बाजार में अपनी एक अलग पहचान रखता है. दूध उत्पादन में भैंस और गाये दोनों ही मुख्य पशु हैं. लेकिन गाये को दूध को स्वास्थ्य के नजरिए से उत्तम माना जाता है. भारत में कई प्रकार की गाये पायी जाती है | लेकिन इनमें से गिर गाये अपनी एक अलग पहचान रखती है. यह एक ऐसी नस्ल है जो कि अधिक दूध उत्पादन के साथ-साथ इसके बछड़े भी अच्छे होते हैं. जो ढुलाई आज हम जिस नस्ल के बारे में बताने वाले है वह है इस गाय का जन्मस्थान गुजरात है. लेकिन इसको देश के कई राज्यों में पाला जाता है. 

गिर गाय भारतीय नस्ल की गाय है इस गाय को अधिक दूध उत्पादन के लिए जाना जाता है. डेयरी उद्योग के लिए यह गाय बहुत अच्छी होती है, | गिर स्वदेशी पशुओं में सबसे अच्छी और दुधारू नस्ल है इसको अनेको नाम से बुलाया जाता है जैसे कि भोडली, देसन, गुजराती, काठियावाड़ी, खोजी, और सुरती आदि. यह गाय नस्ल के प्रजनन क्षेत्र गुजरात के अमरेली, भावनगर, जूनागढ़ और राजकोट जिले शामिल हैं. इसका नाम गिर जंगल क्षेत्र के नाम पर रखा गया है.

इस नस्ल की उत्पत्ति गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र  में हुई है. गिर नस्ल के सांड भारी-भरकम सामान भी आसानी से ढो सकते हैं. इसकी अनेक योग्यताओं के कारण इस नस्ल के जानवरों को ब्राज़ील,अमेरिका,वेनेजुएला और मेक्सिको जैसे देशो में भेजा जाता है. इसे वहां सफलतापूर्वक विकसित किया जा रहा है.  यह गाय एक ब्यात में 5000 लीटर तक दूध देती है.

इस गाय का जीवनकाल 12 से 15 साल तक का है. यह अपने जीवनकाल में 6 से 12 बच्चे पैदा कर सकती है. गिर गाय का वजन लगभग 400-475 kg  और बैल का वजन 550-650 तक हो सकता है  इनका रंग सफ़ेद, लाल और हल्का चोकोलेटी होता है. इनके कान लम्बे और लटकने वाले होते है. उनकी त्वचा हल्के चमकदार बाल, बहुत ही ढीले और लचीले होते हैं|  गिर गाय की आँखें काले रंग की होती है। वे अपनी पलकों को बंद कर सकते हैं ताकि कीड़े उन्हें परेशान ना कर सके। उनके आंख क्षेत्र के आसपास ढीली त्वचा है| इस नस्ल की गाय का स्वस्भव बहुत ही सरल होता है ये मनुष्यों के साथ प्यार करते हैं वे अपने सिर के चारों ओर और पीछे के पैरों के बीच ब्रश और खरोंच करना पसंद करते हैं. ये बहुत विनम्र पशु होते हैं .

वे गुजरात राज्य में दक्षिण-पश्चिम भारत में उत्पन्न हुए अब यह नस्ल महाराष्ट्र और राजस्थान में भी पाय जाती हैं. नस्ल प्रजनन कार्यक्रमों की कमी और पश्चिमी देशों के लिए अधिक सामान्य नस्लों के साथ तर्कहीन क्रॉसब्रीडिंग के कारण गिर नस्ल विलुप्त होने पर कगार पर है. यह गाय विभिन्न जलवायु के लिए अनुकूलित होते है |और यह गर्म स्थानो पर भी आसानी से रह सकते है|

गिर गाय का दूध उत्पादन : भारत में गिर  गाय का औसत दूध उत्पादन 2110 लीटर है. यह गाय प्रतिदिन 12 लीटर से अधिक दूध देती है. इसके दूध में 4.5 फीसदी वसा की मात्रा होती है. ब्राज़ील में 62ltr/day के हिसाब से इस गाय का दूध रिकॉर्ड किया गया है. जिसमें 52 प्रकार के पोषक तत्व शामिल हैं ।

गिर गाय के फायदे : गिर गाय के दूध को A2 दूध के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इसके इस्तेमाल से बच्चो में हृदय सम्बन्धी बिमारी, मधुमेह आदि बिमारी में कमी देखी गयी है.गाय के दूध में दो प्रमुख प्रोटीन होते हैं. कैसिंस और व्हे प्रोटीन  होते हैं।

इसके दूध में 4.5% Fat की मात्रा होती है |

A1 और A2 Variants एक Amino Acids अलग से होते हैं  A1 में Histidine है और A2 में Proline होते है|

भारत में शुद्ध देशी नस्लों गायब हो जाने से कुछ क्रॉस प्रजनन कार्यक्रम भी गयाब होने के कगार पर हैं।

गिर गाय भारत का सबसे पुरानी  देशी गाय है और इसका दूध से हमे शुद्ध घी मिलता है |

गिर गाय बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा कर देती है और आपकी आवाज़ को नरम और स्पष्ट बनाती है|

इसमें Omega 3 के साथ A2, E और D शामिल हैं|

गिर गाय का दूध टूटी हुई हड्डी का इलाज करने में भी सक्षम है।

यह अनिद्रा को ठीक करता है

सबसे महत्त्वपूर्ण होता है कि यह  उन लोगों के लिए अच्छा है जो मोटापे से ग्रस्त हैं|

इसका दूध किडनी के लिए लाभदायक होता है |

कीमत : इस नस्ल की  गाय की कीमत भारत में 50,000 से लेकर 1,00000 तक होती है |  इन गायों की कीमत उनके आयु दूध उत्पादन क्षमता पर निर्भर करती है.

गिर गाय की नस्ल देश में बहुत कम है. गिर गाय ब्रीडर एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार इस नस्ल की संख्या गुजरात राज्य मात्र 20000 के आसपास है. जिसमें की दुधारू पशु सिर्फ 9 हजार से अधिक है.  यह एक चिंता का विषय इस नस्ल के प्रजनन को बढाने की आवश्यकता है. 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

Source: Krishi Jagran