भारत में काले टमाटर की दस्तक, आप भी कर सकते हैं इसकी खेती

December 18 2017

आगर आपसे कोई पूछे कि क्या आपने काले टमाटर के बारे में सुना है, तो ज्यादातर लोगों का जवाब नहीं में होगा। अपने आप में खास इस टमाटर को काफी पसंद किया जा रहा है और अब इसके बीज भारत में भी उपलब्ध हैं। अंग्रेजी में इसे इंडि‍गो रोज़ टोमेटो कहा जाता है। पहली बार भारत में काले टमाटर की खेती होने जा रही है।

हिमांचल प्रदेश के सोलन जिले के ठाकुर अर्जुन चौधरी बीज विक्रेता हैं। अर्जुन चौधरी के पास काले टमाटर के बीज उपलब्द हैं। उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, मैने काले टमाटर के बीज ऑस्ट्रेलिया से मंगवाए हैं। इसकी खेती भी लाल टमाटर की तरह ही होती है। इसके लिए कुछ अलग से करने की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने ने बताया, अभी तक भारत में काले टमाटर की खेती नहीं की जाती है, इस वर्ष पहली बार इसकी खेती की जाएगी। काले टमाटर के बीज का एक पैकेट जिसमें 130 बीज होते हैं 110 रुपए का मिलता है।

यह टमाटर भारत में पहली बार उगया जाएगा।यह टमाटर भारत में पहली बार उगया जाएगा।

काला टमाटर की नर्सरी सबसे पहले ब्रिटेन में तैयार की गई थी, लेकिन आब इसके बीज भारत में भी उपल्बध हैं। किसान इसके बीज ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं।

अर्जुन चौधरी ने इसकी खासियत बताते हुए कहा, इसकी खास बात यह है कि इसकों शुगर और दिल के मरीज भी खा सकते हैं। यह बाहर से काला और अंदर से लाल होता है। इसको कच्‍चा खाने में न ज्यादा खट्टा है न ज्यादा मीठा, इसका स्वाद नमकीन जैसा है।

यह बाहर से काला और अंदर से लाल होता है।यह बाहर से काला और अंदर से लाल होता है।

यह टमाटर गर्म क्षेत्रों के लिए अच्छे से उगाया जा सकता है। ठंढे क्षेत्रों में इसे पकने में दिक्कत होती है, अर्जुन चौधरी बताते हैं, क्योंकि यह टमाटर भारत में पहली बार उगया जा रहा है इस लिए इसके रेट भी अच्छे मिलेंगे।

इसको पकने में करीब चार महीने का समय लगता है। इसको पकने में करीब चार महीने का समय लगता है।

उन्होंने बताया कि जनवरी महीने में इसकी नर्सरी की बुवाई की जा सकती है और मार्च के अंत तक इसकी नर्सरी की रोपाई की जा सकती है। यहा टमाटर लाल टमाटर के मुकाबले थोड़ा देर से होता है। लाल टमाटर करीब तीन महीने में पक कर निकलना शुरू हो जाता है और इसको पकने में करीब चार महीने का समय लगता है।

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

Source: Gaonconnection