बिना जुताई के जैविक खेती करता है ये किसान, हर साल 50 - 60 लाख रुपये का होता है मुनाफा, देखिए वीडियो

November 08 2017

8 November 2017

होशंगाबाद। आपके मन में अक्सर ऐसा सवाल आता होगा कि क्या बिना जुताई किए खेती हो सकती है ? और क्या बिना जुताई वाले खेतों से ज्यादा पैदावार भी होगी ? तो इस बारे में जवाब दिया है मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के किसान राजू टाइटस ने और उनका कहना है ‘हां’, बिना जुताई के भी खेती की जा सकती है और इससे अच्छा खासी पैदावार भी होती है।

राजू पिछले 30 वर्षों से बिना जुताई के खेती कर रहे हैं। वह पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं और इससे अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं। ये अपने खेतों में बाजार से खरीदी गयी खाद और कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करते हैं, बीजों की सीड बाँल बनाकर खेतों में बुआई करते हैं। राजू बिना जुताई के जैविक खेती करके हर साल 50 से 60 लाख रुपये का मुनाफा भी कमा लेते हैं।

बिना जुताई के जैविक खेती करने की प्रेरणा राजू टाईटस को कहां से मिली ये पूछने पर वो गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “जापान के ख्याति प्राप्त कृषि वैज्ञानिक एवं कुदरती खेती के प्रणेता मस्नोबू फुकुओकाजी ने एक किताब लिखी जिसमें बिना निराई-गुड़ाई और बिना रसायन की खेती करने का जिक्र था, पूरी किताब पढ़ने के बाद मुझे वहीं से प्रेरणा मिली इसके बाद इस पर मैंने बहुत रिसर्च किया, इस पद्धति को अपनाने में मुझे फायदा लगा और तब से मै इसी पद्धति से खेती कर रहा हूँ।"

होशंगाबाद जिले से डेढ़ किलोमीटर दूर ‘टाईटस फॉर्म’ के नाम से मशहूर इनके फॉर्म को सब जानते हैं। सुबबूल एक ऐसा वृक्ष है जिससे मिट्टी को पर्याप्त उर्वरकता मिलती रहती है ये पौधे इन्होने अधिकाधिक मात्रा में लगाये है। बिना रसायन 30 वर्षों से लगातार खेती कर रहे राजू बताते हैं, “अगर हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करें तो हमे खेती करने में किसी भी प्रकार की कोई असुविधा नहीं होगी, जुताई करने से असंख्य जीवाणु तो नष्ट होते ही है साथ ही झाड़ियाँ भी काट देते हैं जिनके सहारे असंख्य जीव-जन्तु, कीड़े-मकोड़े मर जाते हैं, पेड़ो के साथ झाड़ियाँ और झाड़ियों के साथ घास और अनेक वनस्पतियां रहती हैं जो एक दूसरे की पूरक होती हैं, अगर हम जुताई नहीं करते हैं तो हमारे खेत असंख्य वनस्पतियों से भर जाते हैं, बकरी पालन करते हैं जिससे खरपतवार का नियंत्रण होता है।”

ये कीड़े मकोड़े जमीन में बहुत काम करते हैं और मिट्टी को भुरभुरा बना देते हैं, इनके जीवन चक्र से खाद और पानी का संचार होता है। राजू टाईटस बिना जुताई के बीज बोने की प्रक्रिया के बारे में बताते हैं, "सीड बाँल बनाना बहुत ही आसान चीज है, सीड बाँल बनाने के लिए खेतों की मिट्टी, पहाड़ों से बहकर निकलने वाली मिट्टी, नदी-नालों और तालाब की मिट्टी या फिर वो मिट्टी जिससे मिट्टी के बर्तन बनते हैं, असली नाईट्रोजन इसी मिट्टी से मिलते हैं, यह मिट्टी सर्वोत्तम खाद है, इसी मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है इसमे किसी खाद की जरूरत नहीं पड़ती है, इस मिट्टी में असंख्य सूक्ष्म जीवाणु होते हैं जो खेत को उर्वरता प्रदान करते हैं।"

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Source: Gaonconnection