प्राण सिंह ने बंजर जमीन पर कैसे की बागवानी जानिए .......

February 02 2018

किसान मेहनत करने से कभी भी पीछे नहीं हटता है. वो अपनी धुन का पक्का होता है तभी तो एक किसान बंजर जमीन पर भी आसानी से फसल उगा देता है. प्राचीन काल में मानव को जब खाने की समस्या हुयी तो उसने अपना भोजन स्वयं ही ढूंढ लिया और बंजर जमीन पर फसल उगा दी सूखे में पानीं के स्त्रोत बना दिए. इतनी ही कड़ी मेहनत की है मध्य प्रदेश के ग्वालियर से 25 किलोमीटर दूर गाँव जहानपुर के किसान प्राण सिंह ने. 15 साल पहले जिस जमीन को बंजर समझा गया, उस जमीन पर एक किसान ने जैविक खेती करके ढाई किलो वजन वाली मौसम्बी पैदा की. यही नहीं उस किसान ने कड़ी मेहनत करके जमीन को इस लायक कर दिया, जहां पर अब 20 किलो का कटहल और सवा किलो वजन वाला आम हो रहा है.

उस किसान का प्रयोग यही पर नही रुका,  बल्कि अब यह किसान एक ही पेड़ में नींबू, संतरा और मौसम्बी लगाने की कोशिश कर रहे हैं. जी हाँ हम बात कर रहे हैं किसान प्राण सिंह की. प्राण सिंह की लगन और उनकी सफलता को देखते हुए एग्रीकल्चर कॉलेज में  बागवानी पर  लेक्चर देने के लिए बुलाया जाता है. प्राण सिंह के गाँव में ज्यादातर खेत बंजर पड़े हैं केवल प्राण सिंह अपने खेत और बगीचे में काम करते हुए नजर आते हैं.

वह बताते हैं कि 15 साल पहले जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई, क्योंकि किसानों ने इसमें अंधाधुंध  यूरिया और केमिकल का इस्तेमाल किया. उसके बाद यहां के ज्यादातर किसान ने फसल लगाना बंद कर दिया. लेकिन प्राण सिंह ने अपने खेत में मेहनत करना जारी रखा और . यूरिया, केमिकल का उपयोग बंद किया. खेत के आसपास 3 तालाब बनाए, जिसमें बारिश का पानी एकत्र किया. इस तालाब के माध्यम से खेत में फसलों को आसानी से पानी की पूर्ती होने लगी और बारिश का पानी भी संग्रहित आसानी हो सका. अपने इसी फ़ॉर्मूले को आगे बढ़ाते हुए प्राण सिंह ने काम करना जारी रखा और बंजर जमीन को हरी भरी बना दिया.

कुछ ऐसे बनाया बंजर जमीन को उपयोगी

प्राण सिंह के इस प्रयोग से जमीन का वाटर लेबल सही हुआ. फिर उन्होंने गोबर, घास-फूस की खाद का इस्तेमाल किया. वर्मी कंपोस्ट की ट्रेनिंग ली. इसके बाद खेत की उर्वरा शक्ति वापस लौट आई.

उन्होंने खेत में नींबू, संतरा और मौसम्बी के पौधे लगाए. इस साइट्रस वैरायटी के पौधों के साथ कई प्रयोग किए. इसका नतीजा यह निकला कि उनके पेड़ में मौसम्बी का वजन ढाई किलो तक पहुंच गया.

कई नई वैरायटी को किया ईजाद

प्राण सिंह ने कटहल, अमरूद सहित कई पौधों की ग्राफटिंग की, जिससे नई वैरायटी विकसित हुई. प्राण सिंह बताते हैं कि यह सब प्राकृतिक तरीके से खेती करने का नतीजा है. प्राण सिंह अपने प्रयोगों को जारी रखते हुए कोशिश कर रहे हैं कि एक ही पेड़ में नींबू, संतरा और मौसम्बी  के फल लगें. उनके मुताबिक यह संभव है, क्योंकि ये तीनों एक प्रजाति के फल हैं. प्राण सिंह की मेहनत देखकर आसपास बंजर खेतों वाले किसान भी अपनी जमीन में वापस खेती करने के लिए लौट रहे हैं. प्राण सिंह की उपलब्धियों को देखते हुए प्राण सिंह को अब कॉलेज में लेक्चर देने के लिए भी बुलाया जाता है. वो दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बने हुए है.

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Source: Krishi Jagran