प्याज भारत की मुख्य फसलों में शामिल है, लेकिन इसके चलते हर साल कभी उपभोक्ताओं को तो कभी किसानों को परेशान करती है. इस बार फिर से प्याज किसानों को रुलाने वाली है. देश के सबसे बड़ी मंडी में प्याज की कीमत 30 प्रतिशत तक गिर गयी है. थोक में प्याज की कीमत 1,500 रुपए के नीचे आ गयी है. महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में प्याज 1200 रुपए कुंतल तक बिक रहा. नई फसलों की आवक से ऐसा हो रहा है. कुछ मंडियों में तो दाम 1,200 रुपए के नीचे तक आ गया है. इस महीने कीमतें करीब 30 प्रतिशत तक गिर चुकी हैं. आने वाले दिनों में फुटकर बाजार में भी इसका असर देखने को मिलेगा.
अब जब मंडी में किसानों को वाजिब दाम नहीं मिलेगा तो व्यापारी प्याज खरीदकर स्टोर कर लेंगे. फिर बाजार में जैसे ही प्याज की किल्लत होगी, पिछले वर्ष की तरह इस साल भी प्याज कीमतों में बढ़ोतरी होगी. तो जमाखोर उस प्याज को अधिक कीमत में बेचना शुरू करेंगे. देश में प्याज का उत्पादन खपत से ज्यादा होता है. तभी तो हर साल प्याज की कीमत का ऐसा संकट आता है. फिर भी हर साल हमारा देश इसका निर्यात भी करता है. जमाखोरी, प्याज स्टोरेज की पर्याप्त व्यवस्था न होना और सरकारी नीतियों में स्थिरता का अभाव प्याज की कीमतों को बढावा देती है.
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Source :- Krishi Jagran