पराली जलाने से अच्छा है, आप ये तरीका अपनाएं...

November 08 2017

8 November 2017

देश के ज्यादातर किसान जब धान की पराली को जलाकर अपने खेतों के साथ साथ पर्यावरण को प्रदूषित कर रहें हैं, वहीँ इसके विपरीत कुछ किसान बहुत समय से पराली को खेतों में मिलाकर जमीन को उपजाऊ बनाने के साथ पर्यावरण की रक्षा भी कर रहें हैं.

आज हम आपको बता रहें हैं हैं बठिंडा के गांव कर्मगढ़ छत्रां के मनजिंद्र सिंह छत्रां की कहानी, जिन्होंने पिछले 9 सालों से धान की पराली को आग ना लगाकर उसे खेतों में ही मिला देते हैं. मनजिंद्र के अनुसार पराली को खेतों में मिलाने से जमीन की हालत तो ठीक रहती ही है और इसके कारण उत्पादन भी अधिक होता है.

मनजिंद्र ने इस वर्ष प्रति एकड़ 54 मन (21 कुंतल) गेहूं का उत्पादन लिया है जबकि यह उत्पादन बाकि वर्षों में 45 मन के करीब होता है. उनके मुताबिक अगर हम पराली को खेत में मिला दें तो उसकी उर्वरा शक्ति बढती है और इस कारण उसमें यूरिया और खाद भी कम ही डालने की जरुरत पड़ती है. मनजिंद्र की इस सफलता को देखकर बाकी किसानों ने भी पराली को आग लगाना बंद कर दिया है.

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Source: Gaonconnection