गन्ने के मूल्य में इजाफा…

October 30 2017

30 October 2017

आमतौर पर भारत वर्ष में लाल गाजर को ही ज्यादा उगाया और खाया जाता है, परन्तु गाजर कई रंगों जैसे पीला, सुनहरा और काला में पायी जाती है. काली गाजर के विषय में अगर बात करें तो इसका गूदा बैंगनी और काले रंग का होता है. इस गाजर की उत्पति तुर्की या सीरिया है. हालांकि अब इस गाजर को मिस्र, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, अमेरिका और भारत में उगाया जा रहा है.

इसको उगाने के फायदे :

क्यों पिए काली गाजर का जूस : काली गाजर की मुख्यत: चार किस्में एंटोनीना, बीटा स्वीट, डीप पर्पल, पर्पल हेज उगाई जाती हैं. इन किस्मों में मुख्य तत्व एंथोसाईनिन पाया जाता है. जिसकी 100 ग्राम गाजर में लगभग 90 मिलीग्राम मात्रा होती है. एंथोसाईनिन में एंटी ओक्सिडेंट गुण पाया जाता है, जो कि अल्जाईमर जैसी बीमारी को ठीक करने में मदद करता है. एंथोसाईनिन कैंसर की रोकथाम में भी मदद करता है क्योंकि यह स्वस्थ कोशिकाओं को ख़त्म करने वाले जहरीले पदार्थों को नष्ट करता है.

काली गाजर के और उपयोग : काली गाजर के रस को भोजन को प्राकृतिक रंग देने के काम लाया जाता है. इसको अंगूर के रस के कंसनट्रेट को रंगने के काम में लाया जाता है|

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह कहानी अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|