खेतों में पराली जलाने पर नहीं लग रही रोक, धड़ल्ले से खेत फूंक रहे किसान

November 08 2017

8 November 2017

बाराबंकी। जहाँ एक तरफ दिल्ली की आबोहवा जहरीली हो गयी है वहीं कई राज्यों में लगातार पराली जलाई जा रही है। दिल्ली से करीब 550 किलोमीटर दूर बाराबंकी के इस खेत के आसपास की हवा आज भले ही जहरीली न हो, लेकिन अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में यहाँ भी सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।

जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर स्थित हैदरगढ़ क्षेत्र ब्लाक त्रिवेदीगंज के नरेन्द्रपुर मदरहा,जरौली गाँव की तरह इस ब्लाक के सभी गांव मे 80 प्रतिशत लोग हर साल अपने खेतों में पराली जला देते हैं। इससे खेत की उर्वरक क्षमता तो कम होती ही है साथ ही आसपास की आबोहवा भी जहरीली होती जा रही है।

गाँव के किसान चन्द्रशेखर वाजपेयी का कहना है, “पहले धान हाथ से काटते थे तब ज्यादा खरपतवार नहीं रहता था, इसलिए सीधे जुताई हो जाती थी। अब धान मशीन से काटते हैं इसलिए खेत में पराली बहुत ज्यादा रह जाती है जिसकी वजह से इसे जलाना मजबूरी बन जाती है।”

ये समस्या सिर्फ चन्द्रशेखर की नहीं है बल्कि इनकी तरह सैकड़ों किसानों के सामने ये समस्या है। क्योंकि धान कटाई के बाद खेत साफ़ करने की इन्हें जल्दी होती है इसमे गेंहूँ बोना होता है। जल्दबाजी में किसान इसे साफ़ करने की बजाय खेत में जलाना आसान समझते हैं। जरौली गाँव के के प्रमोद ने कहा, “अब सब किसान यही करते है, इसे जलाने से खेत की जुताई आसानी से हो जाती है। जली हुई पराली खेत में राख का काम करती है।”

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Source: Gaonconnection