कुछ इस तरह से उत्तर प्रदेश के किसानों की आय होगी दोगुनी

November 30 -0001

By: News 18, July 20

यूपी के किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के भारत सरकार की ओर से गठित स्टेट एडवाइजरी कमेटी ने मसौदा तैयार कर लिया है। कमेटी का मसौदा लागत कम और उत्पादन अधिक के मूलमंत्र को लेकर तैयार किया गया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश को नौ क्लाइमेट जोन में बांटकर हर क्षेत्र की खासियत, समस्याओं के आधार पर आमदनी में इजाऐ के सुझाव दिए है।

आईसीएआर को मसौदा भेजने के बाद अब अगले महीने 4 व 5 अगस्त को कमेटी के हेड और कन्वीनर आईसीएआर में प्रजेंटेशन देंगे। जहां जरुरी संशोधनों के बाद इसे नीतियों में शामिल किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के 2022 तक आय दोगुनी करने के ऐलान के बाद भारत सरकार ने इस साल हर राज्य की स्टेट एडवाइजरी कमेटी गठित कर आमदनी बढ़ाने के लिए सुझाव मांगे थे। उत्तर प्रदेश के लिए आईवीआरआई के डायरेक्टर को कमेटी का कन्वीनर बनाया गया। अप्रैल में 29 सदस्यीय कमेटी की दो मैराथन बैठकों के बाद कमेटी से मसौदा तैयार किया है।

आईवीआरआई निदेशक और कमेटी के कन्वीनर डा. राजकुमार सिंह ने बताया कि आय में बढ़ोत्तरी के लिए यूपी को 9 क्लाइमेट जोन में बांटा गया। हर जोन की अपनी अलग खासियत है। इसमें मिट्टी, जलवायु, खेती के तरीके, फसलों के प्रकार शामिल हैं। ऐसे में किस जोन में क्या तकनीक और खेती के कौन से तरीके प्रयोग में लाए जाएं जिससे आमदनी बढ़े इसपर फोकस किया गया है। इसमें कृषि विवि, कृषि संस्थान और केवीके के इनपुट के साथ किसानों से भी सुझाव मांगे गए थे। इस इनपुट के आधार पर कमेटी ने मसौदा तैयार किया है। डा.आरके सिंह ने कहा कि खेती में आने वाली लागत कम कर दी जाए और उत्पादन यथावत रहे तो भी किसानों की आमदनी बढ़ेगी।

इसके अलावा उन्नत बीजों का प्रयोग, सहफसली खेती इसमें मददगार साबित होगी। आठ रणनीतियां बनाएंगी नौ जोन के किसानों को खुशहाल मसौदे में 2022 तक किसानों और पशुपालकों की आय दोगुनी करने के लिए आठ रणनीतियों पर काम किया गया है। छोटे, मझोले और सीमांत किसानों को अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया है। इसमें वैज्ञानिक खेती, माइक्रो इरिगेशन, जैविक खाद्य कार्यक्रम को बढ़ावा, विविधताओं से भरी कृषि को बढावा, सूचना संचार तकनीकी के जरिए कृषि को बढ़ावा देना, फार्म प्रणाली विकसित करना और इंटीग्रेटिड फार्मिंग सिस्टम को प्रोत्साहित करना शामिल है। डा. आरके सिंह ने कहा कि छोटे किसानों के लिए डेयरी हसबंडेरी पर काम होगा। राज्य के अधिकांश किसानों के पास कम भूमि है। इस तरह बड़े अंतर से उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं हो सकती है। ऐसी स्थिति में किसान अपने उत्पाद को बेहतर चैनलों और बाजारों में बेचकर अधिक कमा सकते हैं और ज्यादा मुनाफा पास सकते हैं।

स्वदेश तकनीकों को अपनाने का सुझाव तकनीक के संदर्भ में कमेटी ने स्वदेशी तकनीक विकसित करने का सुझाव दिया है जो ग्रामवासियों की आवश्यकता के अनुरुप है। समिति ने मृदा परीक्षण और बीज चयन जैसे काफी नए और लागत प्रभावी तकनीकों का भी जोर दिया है। डा. आरके सिंह ने कहा कि किसान मृदा परीक्षण के लिए विकल्प चुनता है और परीक्षण के परिणामों में दी गई सलाह का पालन करता है, तो एक किसान उर्वरकों की जरूरतों को कम कर पैसे बचा सकता है। साथ ही समिति ने कृषि उत्पादों के बेहतर मार्केटिंग आवश्यकता बढ़ाकर किसानों को बेहतर रिटर्न पर भी जोर दिया है। मिड वेस्टर्न प्लेन जोन में है बरेली आय दोगुनी करने के लिए यूपी को जिन नौ जोन में बांटा गया है।

इसमें बरेली मिड वेस्टर्न प्लेन जोन में है। बरेली के अलावा इस जोन में बदायूं, मुरादाबाद, शाहजहांपुर भी है। वहीं पीलीभीत, बिजनौर और रामपुर तराई जोन में है। भारत सरकार की ओर से गठित स्टेट एडवाइजरी कमेटी ने अपने मसौदे में सभी जोन यह है नौ जोन भाभर एवं तराई जोन, बुंदेलखंड जोन, सेंट्रल जोन, ईस्टर्न प्लेन जोन, मिड वेस्टर्न प्लेन जोन, नार्थ ईस्टर्न प्लेन जोन, साउथ वेस्टर्न सेमी एरिड जोन, विंन्ध्यान जोन और वेस्टर्न प्लेन जोन मसौदा तैयार करने में स्टेट एडवाइजरी कमेटी में क्षेत्रीय कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों की मदद ली। इनसे मिले इनपुट को मसौदे में जगह दी गई। मसौदे को आईसीएआर भेज दिया गया है। अब अगले महीने प्रजेंटेशन होना है। इसमें कमेटी ने जो रिपोर्ट बनाई है उसको पेश किया जाएगा।

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