किसानों को क्या मिला इस बजट में जानिए......

February 02 2018

हर साल बजट आता है और किसानों के लिए हर साल सरकार कुछ नया लेकर आती है. हर साल बजट में बदलाव होता है. लेकिन किसान की हालत जस की तस बनी हुई है. इस साल का बजट सरकार ने घोषित कर दिया है. इसी के साथ इसमें कई नई चीजे शामिल हुयी है .जिससे कि किसानों को लाभ मिलेगा. यह कहना तो मुश्किल है कि किसानों को इस बजट के बढाने से कितना लाभ मिलेगा. वैसे तो 2018-19 के इस बजट को आम आदमी और किसानों का बजट कहा जा रहा है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने किसानो और कृषि के लिए इस तरह से बजट घोषित किया है. जिस तरीके से सरकार साल 2022 तक किसानों कि आय को दोगुना करने का जो लक्ष्य घोषित किया है. उसको पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रयास कर रही है. इसी को ध्यान में रखते सरकार ने बजट भी घोषित कर दिया है|

बजट में किसानों के लिए की गई यह अहम घोषणाएं:-

1.किसानों को फसली लोन की सीमा को 10 लाख करोड़ रुपए से बढाकर अगले वित्त वर्ष में 11 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा.  

2. किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले इसके लिए 2000 करोड़ रुपए की लागत से 22 हजार ग्रामीण बाजारों का ढांचागत विकास विकास किया जाएगा. इसके साथ ही आलू, टमाटर और प्याज के लिए 500 करोड़ रुपए की लागत से ‘ऑपरेशन ग्रीन’ योजना शुरु किया जाएगा.

3. 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य-नया ग्रामीण बाजार ई-नैम बनाने का ऐलान.

4. फूड प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़.

5. जैविक खेती को बढ़ावा देने पर होगा जोर.

6. ऑपरेशन ग्रीन लांच, जिसके लिए 500 करोड़ रुपए का प्रस्ताव.

7. जिला स्तर पर विशिष्ट कृषि उत्पादन का कलस्टर मॉडल विकसित होगा.

8.42 मेगा फूड पार्क बनाए जाएंगे.

9.बांस की पैदावार बढ़ाने के लिए 590 करोड़.

10. अधिक किसानों को दिए जाएंगे क्रेडिट कार्ड.

11.अतिरिक्त सोलर पावर सरकार खरीदेगी.

12. पशु मछली पालन के लिए  10 हजार करोड़ रुपए का फंड.

13. वायु प्रदूषण से निपटने के लिए नई योजना.

14. अगले वित्त वर्ष में किसानों को 11 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण देने का प्रस्ताव

15.दिल्ली के पड़ोसी राज्यों के किसानों को पराली जलाने के लिए रियायती दर पर मशीन दी जाएग

16.किसानों को कर्ज के लिए 11000 करोड़ का फंड

17.कृषि मंडी व्यवस्था में सुधार के लिए 2,000 करोड़ रुपए के कोष की व्यवस्था

18.फसलों का समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुणा होगा.

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Source: Krishi Jagran