किसानों के 10 हजार करोड़ की कर्ज माफी पर बैंकों ने खड़े किए हाथ, ये था मामला

September 25 2017

By: Dainik Bhaskar, 25 September 2017

जालंधर.गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव और किसानों के बढ़ते दबाव में कैप्टन कैबिनेट ने भले ही किसान कर्ज माफी नोटिफिकेशन को मंजूरी दे दी है लेकिन सरकारी बैंक किसानों के 2 लाख तक के कर्ज माफ करने को तैयार नहीं हैं। कैप्टन सरकार को बैंकाें ने दो टूक कहा कि जब तक उन्हें किसान कर्ज माफी की 10 हजार करोड़ की पूरी रकम नहीं मिलती तब तक वे किसानों का कर्ज माफ नहीं कर पाएंगे। स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) पंजाब के सूत्रों के मुताबिक सरकार चाहती है कि किस्तों में बैंकों को पैसा लौटाया जाए जो उन्हें मंजूर नहीं है। इस बारे में 21 सरकारी बैंकों को उनके मुख्यालयों से भी इजाजत नहीं मिली है।

गौरतलब है कि सरकार ने एक बार में ही 10.25 लाख किसानों के 10 हजार करोड़ के कर्ज को अपने सिर लेते हुए बैंकों से कर्ज माफ करने को कहा है। साथ ही सरकार ने बैंकों को किस्तों में रकम चुकाने की अनुमति मांगी है। किसानों की 10000 करोड़ कर्ज माफी में 6000 करोड़ सरकारी बैंकों का, 3600 करोड़ कोऑपरेटिव बैंकों और 400 करोड़ ब्याज है। इधर, आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने किसानों की कर्ज माफी को ‘नैतिक त्रासदी’ करार दिया है। एग्रो इकोनॉमिस्ट वीके जोशी के मुताबिक 3 साल में 5,275 कार्पोरेट डिफॉल्टरों में बैंकों के करीब 6.8 लाख करोड़ रुपए डूबे हैं। इसको देखें तो कृषि कर्ज माफी पर अर्थशास्त्रियों का विरोधाभासी रुख क्याें है।

सरकार आरबीआई से परमीशन ले, ओटीएस स्कीम भी मंजूर नहीं

सरकार ने किस्तों में कर्ज माफी का पैसा लौटाने को कहा है। बैंकों ने सरकार को पहले आरबीआई से परमीशन लेने को कहा है। वन टाइम सेटलमेंट स्कीम भी 10 लाख किसानों पर लागू होना संभव नहीं है। पीएसचौहान, कन्वीनर स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी

1. बैंकों से ही मांगा 1500 करोड़, कर्ज माफी है 10 हजार करोड़

बासमतीपर मंडी फीस रुरल डवलपमेंट फंड 4 से बढ़ाकर 6% किया है। इससे सरकार को सालाना करीब 800 करोड़ की कमाई हो सकती है। इसके बदले सरकार ने बैंकों से 1500 करोड़ कर्ज मांगा है।

2. सीधेचुनाव आयोग पहंुचने से नोटिफिकेशन में हो सकती देरी

कैबिनेटकी मंजूरी के 4 दिन बाद सरकार ने सीधे केंद्रीय चुनाव आयोग से अनुमति मांगी है। यदि सीईओ की सिफारिश पर आयोग से अनुमति मांगी जाती तो मंजूरी जल्दी मिल सकती थी। लेकिन अब देरी हो सकती है।

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