किस राज्य में मिल रही है गोपालन के साथ खोवा, पनीर, घी बनाने की मशीनों के लिए 50 फीसदी से ज्यादा सब्सिडी

October 27 2017

27-October-2017

बिहार में अब किसान गोपालन के साथ ही दूध से बने उत्पाद खुद तैयार कर आत्मनिर्भर बनेंगे। श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने व किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार ने कई योजनाएं लाई है। जिसमें समग्र गव्य विकास योजना के तहत किसानों को अब मिल्किंग मशीन, खोवा बनाने की मशीन, पनीर मेकिंग मशीन, घी बनाने की मशीन खरीदने और आइस्क्रीम प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी दी जाएगी। खासकर इन योजनाओं का चयन सीमांचल के चारों जिले किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, कटिहार सहित मात्र दस जिलों के लिए किया गया है। इसके अलावा दो, चार, छह व दस दूधारु मवेशी व पांच, दस, पंद्रह व बीस बाछी पालन की योजना भी लाई गई है। इन सभी योजनाओं में सामान्य जाति के किसान व पशुपालकों को 50 फीसदी तथा अनुसूचित जाति व जनजाति के किसानों को 66 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। इसके क्रियान्वयन का जिम्मा जिला गव्य विकास पदाधिकारी को दिया गया है।

आपको बता दें कि डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वार गव्य विकास विभाग के माध्यम से पूर्व में ही गायों वाली योजना चला रही है, लेकिन सीमांचल के जिलों में उसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिलते देख अब दुग्ध उत्पाद तैयार करने वाली मशीन की भी योजना इसमें जोड़ दी गई है। सरकार का लक्ष्य है कि पंजाब व हरियाणा की तरह बिहार भी दूध उत्पादन व उससे बने उत्पादों की बिक्री में आत्मनिर्भर बन सके।

श्वेत क्रांति लाने के लिए चार तरह की योजनाएं

इस योजना का उद्देश्य किसानों, पशुपालकों व बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए स्व रोजगार का अवसर उपलब्ध कराना तथा आधारभूत संरचना का निर्माण कर उनकी आय में बढ़ोतरी करना है। इस योजना को चार वर्गों में बांटा गया है। जिसमें पहला दुधारु मवेशी योजना, दूसरा बाछी पालन योजना, तीसरा मिल्किंग मशीन या दुग्ध जांच मशीन व दुग्ध शीतलीकरण संयंत्र स्थापना की योजना तथा चौथा देसी दुग्ध उत्पाद निर्माण के लिए डेयरी संयंत्र की स्थापना योजना शामिल है।

सामान्य वर्ग को 50 फीसदी और एससीएसटी को 66 फीसदी अनुदान

जिनमें दो दुधारु मवेशी की लागत एक लाख छह हजार पर सामान्य जाति को सरकार द्वारा पचास फीसदी और अनुसूचित जाति व जनजाति को 66 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह चार दुधारु मवेशी की लागत 2.40 लाख व छह और दस दुधारु मवेशी योजना की लागत क्रमश: 3.60 लाख व 6 लाख रुपये है। इसी तरह पांच बाछी की लागत 1.32 लाख, दस बाछी की 2.64 लाख, 15 बाछी की 3.96 लाख, 20 बाछी की 5.28 लाख की लागत आएगी। इसी तरह मिल्किंग मशीन की एक इकाई की लागत 80 हजार, इलेक्ट्रॉनिक मिल्कोटेस्टर की लागत 50 हजार व बल्क मिल्क कूलर 500 लीटर क्षमता डीजी सेट सहित लागत 9.50 लाख की लागत आएगी। इसके अलावा एक हजार, तीन हजार व पांच हजार लीटर क्षमता की लागत क्रमश: 11, 16 व 18 लाख है। देशी दुग्ध उत्पाद निर्माण के लिए खोआ मेकिंग मशीन की लागत 1.70 लाख, पनीर मेकिंग मशीन की लागत ढ़ाई लाख, घी मेकिंग मशीन की लागत 2.20 लाख व आईसक्रीम प्लांट की लागत 6.80 लाख है। इन सभी योजनाओं पर अनुदान की प्रक्रिया एक जैसी ही होगी।

इन जिलों के लिए लागू है डेयरी उत्पाद मशीन की योजना

राज्य के दस जिलों में दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र व मिल्किंग मशीन, मिल्कोटेस्टर, बल्क मिल्क कूलर व आइस्क्रीम संयंत्र की स्थापना की जाएगी। जिनमें किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, मधेपुरा, नवादा, अरवल, औरंगाबाद, गोपालगंज व शेखपुरा जिले शामिल हैं। दुधारु मवेशी व बाछी पालन योजना सभी जिलों के लिए है। योजना का लाभ प्रथम आओ प्रथम पाओ के आधार पर दिया जाएगा।

अब दुग्ध उत्पादक किसान बनेंगे आत्मनिर्भर

किशनगंज के जिला गव्य विकास अधिकारी अर्जुन प्रसाद के मुताबिक सरकार श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने के लिए किसानों, पशुपालकों व शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए नई योजनाएं लाई है। गाय व बाछी पालन योजना के साथ ही मिल्किंग मशीन व दूग्ध से बने उत्पादों को तैयार करने के लिए मशीनों का लाभ दिया जाएगा। इन सभी पर 50 से 66 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। मशीन वाली योजना राज्य के दस जिलों के लिए है। अब किसान खुद दुग्ध से बने उत्पादों को तैयार कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

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Source: Dairy Today