11 October 2017
महाराष्ट्र की लासलगांव प्याज़ मंड़ी के अधिकारियों के मुताबिक़ बीते दस दिनों में प्याज़ के दाम 1600 रुपए प्रति क्विटंल से बढ़कर 2500-3000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं.
एशिया की इस सबसे बड़ी प्याज़ मंडी के थोक व्यापारियों का कहना है कि नवंबर महीने के आख़िर तक प्याज़ और महंगा होता रहेगा.
लासलगांव एग्रीकल्चर प्रॉड्यूस मार्केट कमिटी के थोक व्यापारियों का कहना है कि मांग और आपूर्ति में बढ़ते फ़ासले के कारण प्याज़ के दाम बढ़ रहे हैं.
लासलगांव में प्याज़ की पिछली फसल चार महीने पहले आई थी. तब प्याज़ के दाम 400 रूपये प्रति क्विंटल थे. लेकिन, पिछले दस दिनों में प्याज़ की कीमतों में औसतन 70 से 80 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई है .
नासिक में प्याज़ आज खुदरा बाज़ार में 40-50 रूपये प्रति किलो तक बिक रहा है.
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सोमवार को लासलगांव मंडी में प्रति क्विंटल प्याज़ 2415 रूपये में बिक रहा था वहीं, पिछले हफ्ते शुक्रवार को यही प्याज़ औसतन 2,020 रूपए क्विंटल था.
लासलगांव प्याज़ मंडी में विक्रेताओं का कहना है कि पिछले दो से तीन दिनों में ही प्याज़ के दाम चढ़े हैं. इन बढ़े दाम का असर कुछ दिनों में खुदरा बाज़ार में दिखने लगेगा.
लासलगांव एग्रीकल्चर प्रॉड्यूस मार्केट कमिटी के अध्यक्ष जयदत्ता होलकर बताते हैं, "दक्षिण भारत में बारिश की वजह से प्याज़ की फसल खराब हो गई है. मध्य प्रदेश में भी प्याज़ की कमी है. आपूर्ती और मांग में अंतर के कारण प्याज़ के दाम नासिक थोक बाज़ार में भी बढ़े हैं. लासलगांव और अन्य ज़िलों में मौजूद एपीएमसी दिवाली के पूरे हफ्ते प्याज़ की नीलामी नहीं करेंगे, और यह भी एक वजह है की विक्रेताओं ने प्याज़ के दाम बढ़ा दिए हैं."
जानकारों के मुताबिक नासिक में खुदरा बाज़ार में प्याज की क़ीमतें अभी और भी बढ़ सकती हैं.
दिल्ली की आज़ादपुर मंडी में प्याज़ व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र बुद्धिराजा का कहना है कि आज़ाद पुर मंडी में इस वक्त प्याज़ 20 से 30 रूपये किलो बिक रहा है , लेकिन वो कहते हैं कि दिवाली के बाद यही दाम मंडी में 50 रूपए तक पहुंच सकते हैं.
इसका असर दिल्ली के खुदरा बाज़ार में प्याज़ के दामों पर पड़ेगा.
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सोमवार को लासलगांव मंडी में करीब 8,000 क्विंटल प्याज की बोली लगी. शुक्रवार को लासलगांव एपीएमसी में 21,000 क्विंटल प्याज की बोली लगी थी.
लेकिन, व्यापारियों का कहना है कि इतना प्याज़ मांग के हिसाब से काफी नहीं है. दरअसल, अभी जो प्याज बाज़ार में आ रहा है उसकी खेती मार्च-अप्रैल में हुई थी और गर्मी की फसल पांच से छह महीने ही ठीक रह पाती है.
लासलगांव मंडीं में काम करने वाले थोक विक्रेता नंद कुमार दागे ने बताया कि "अभी प्याज़ की नई खेप आने में एक महीने का वक्त लगेगा, तब तक प्याज़ के दाम बढ़ते रहेंगे."
भारतीय व्यापार मंडल में वित्तीय सलाहकार जी चंद्रशेखर का मानना है कि प्याज़ के दामों में बढ़ोत्तरी का मुख्य कारण कर्नाटक, महाराष्ट्र में हुई बे-मौसम बरसात है, जिससे फसल को काफी नुकसान पहुंचा है .
प्याज़ के दामों में बढ़ोतरी के राजनीतिक प्रभाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, जब तक प्याज़ के दाम 80 से 100 रूपये के आसपास नहीं पहुंच जाते तब तक राजनीतिक असर नहीं होगा.
लोकिन, दाम ज्यादा न बढ़े इसके लिए सरकार को इस बढ़ोत्तरी पर नज़र रखनी पड़ेगी.
उनका ये भी मानना है कि नवंबर के पहले हफ्ते में जब फसल की नई पैदावार आना शुरू होगी तब दाम में कमी ज़रूर आएगी.
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Source: BBC News