अनाज घोटाला : थ्री-व्हीलर में 150 क्विंटल चावल 225 KM दूर कैसे पहुंच गया

October 04 2017

4 October 2017

उत्तराखंड में 600 करोड़ रुपये के अनाज घोटाले में एसआईटी की 19 पेजों की रिपोर्ट में उन तरीकों का खुलासा हुआ, जिनके जरिये सरकारी खजाने को चपत लगाई गई। सरकारी गोदाम तक चावल लाने के लिए ट्रांसपोर्ट भाड़े में किया गया गोलमाल भी पकड़ा गया।

सूत्रों के अनुसार, कागजों में रुद्रपुर से करीब 150 क्विंटल चावल ऋषिकेश तक भेजा हुआ दिखाया गया है। इसमें जिस वाहन का नंबर दर्ज था, वह थ्री-व्हीलर का निकला। एक थ्री-व्हीलर में 150 क्विंटल चावल रुद्रपुर से 225 किमी दूर ऋषिकेश कैसे जा सकता है, यह सवाल इस रिपोर्ट में उठाया गया है। जिन वाहनों की ढुलानस्थल पर मौजूदगी नहीं थी, उनसे भी ढुलान दिखाया गया। प्रमुख सचिव-खाद्य आनंद वर्द्धन का कहना है कि एसआईटी की जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। इसके निष्कर्ष के आधार पर जल्द कार्रवाई शुरू की जाएगी। दोषी किसी भी स्तर का अधिकारी या फिर कर्मचारी हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई 

की जाएगी।

उत्तराखंड में 600 करोड़ का अनाज घोटाला, सरकार ने जारी किए चौंकाने वाले आंकड़े

खाद्य विभाग के कई और अफसर भी राडार पर 

देहरादून। चावल घोटाले में खाद्य विभाग के कई और अफसर भी राडार पर हैं। सरकार इस मामले की विस्तृत जांच कराने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, राइस मिलर्स को चावल की सप्लाई के लिए ट्रकों के कोरे चालान देने के साथ किसानों से सस्ता धान खरीदवाने में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों का एक नेक्सस काम करता था। इससे चावल खरीदा तो जाता था, लेकिन वह पात्र व्यक्तियों तक पहुंचने से पहले ही बाजार में पहुंच जाता था। एसआईटी की जांच में इसके संकेत मिल चुके हैं। राज्य सरकार अब गहराई तक एक-एक कर्मचारी की गर्दन पकड़ने की तैयारी कर रही है।

वित्त मंत्री प्रकाश पंत की सक्रियता से खुला मामला 

इस घोटाले के खुलासे में वित्त मंत्री प्रकाश पंत की अहम भूमिका रही। सूत्रों के अनुसार, कुछ राइस मिलर्स और विभागीय कर्मचारियों ने पंत से इस मामले की शिकायत की थी। यह मामला दो इंस्पेक्टरों के निलंबन भर का नहीं, बल्कि शीर्ष स्तर तक अफसरों की मिलीभगत है। मामला संज्ञान में आने पर मुख्यमंत्री ने दो अगस्त को एसआईटी जांच बिठा दी थी।

पहले भी सामने आ चुके हैं अनाज घपले के मामले

1. 2013 की केदारनाथ आपदा के दौरान खाद्य विभाग ने फूड पैकेट आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बंटवाए थे। इन फूड पैकेट को एक ट्रांसपोर्ट कंपनी से बनवाने और 450 रुपये के सामान के 620 रुपये भुगतान करने पर काफी विवाद भी हुआ। अगस्त 2013 में भाजपा ने उस दौरान इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। पर बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी थी।

2. जुलाई 2013 में हरिद्वार के लक्सर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सरकारी दुकानों का अनाज खुले बाजार में बिकता पाया गया था। करीब एक हजार बोरे उस दौरान मिले। विभाग ने इसकी जांच कराने का दावा तो किया लेकिन बाद में खाद्य विभाग को क्लीन चिट दे दी गई।

3. जनवरी 2013 में देहरादून के चंद्रबनी क्षेत्र में एक कारोबारी की दुकान पर गेहूं के 150 बोरे मिले थे। यह गेहूं भी सरकारी दुकानों का बताया गया। इस मामले में जांच के आदेश दिए गए, लेकिन जांच ठंडे बस्ते में चली गई।

नौ और अफसरों पर गिर सकती है गाज 

हल्द्वानी। चावल घोटाले में खाद्य विभाग के नौ अफसरों पर गाज गिर सकती है। राज्य भंडारण निगम के तीन प्रबंधकों के खिलाफ भी चार्जशीट जारी की जा सकती है। सूत्रों के अनुसार काशीपुर, रुद्रपुर और किच्छा खरीद केंद्रों के वरिष्ठ विपणन अधिकारी, प्रभारी विपणन अधिकारी और विपणन निरीक्षकों समेत नौ अफसरों पर गाज गिर सकती है। राज्य भंडारण निगम के तीन गोदामों के स्टॉक रजिस्टर में भी गड़बड़ी की आशंका है। इधर, आरएफसी कुमाऊं धानिक ने बताया कि उन्हें प्रमुख सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी का सेवा विस्तार खत्म करने संबंधी पत्र मिल गया है। उन्हें पिछले साल जनवरी में सेवा विस्तार दिया गया था।

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Source: Hindustan Live