मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा है कि किसानों के हित में बदलते हुए कृषि परिदृश्य को ध्यान में रखकर नई योजनाएँ बनाना जरूरी है। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से आग्रह किया कि मध्यप्रदेश में परिवर्तित कृषि परिदृश्य को देखते हुए राज्य की कृषि नीति का प्रारूप तैयार करे। इसमें किसानों, कृषि विशेषज्ञों तथा कृषि व्यापार से जुड़ी संस्थाओं का भी सहयोग लें। मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण सबसे तेजी से उभरते हुए क्षेत्र हैं। फूलों के उत्पादन का भी एक बड़ा क्षेत्र उभर रहा है। मुख्यमंत्री गत दिवस मंत्रालय में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की राज्य ऋण संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड का स्टेट फोकस पेपर जारी किया। उन्होंने नाबार्ड द्वारा सहायता प्राप्त स्व-सहायता समूहों और किसान उत्पाद समितियों को अच्छे प्रदर्शन के लिये सम्मानित किया।
1 लाख 74 हजार 970 करोड़ का ऋण वितरण होगा
नाबार्ड ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए मध्यप्रदेश राज्य के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 1,74,970 करोड़ रुपये के ऋण वितरण का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल के अनुमानों से 14.28 प्रतिशत अधिक है। जय किसान ऋण माफी योजना के कारण पिछले वर्ष के अनुमानों की तुलना में फसली ऋण के अनुमानों को वर्तमान 50 हजार करोड़ से बढ़ाकर 94 हजार करोड़ किया गया है, जो 86.36 प्रतिशत अधिक है। राज्य के 313 ब्लॉकों में संभावित ऋण वितरण की क्षमता ध्यान में रखते हुए राज्य फोकस पेपर सतत कृषि पद्धति तैयार किया गया है।
इस अवसर पर सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह और किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री सचिन यादव, प्रमुख सचिव वित्त म.प्र. शासन श्री अनुराग जैन, मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड श्री सुनील कुमार बंसल, महाप्रबंधक सुश्री एम. खेस, महाप्रबंधक श्री डी.एस. चौहान, महाप्रबंधक श्री हेमंत कुमार सबलानिया, डॉ. गौतम सिंह और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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स्रोत: Krishak Jagat