हरियाणा में पराली से बिजली पैदा करने वाले संयंत्र स्थापित किए जाएंगे जिससे कि पराली को जलाने के बजाय उसका सदुपयोग हो सके। कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति के.पी. सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र दामला द्वारा यमुनानगर के बकाना गांव में फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर आयोजित किसान मेले में अपने सम्बोधन में यह जानकारी दी।
किसान मेले में गांव बकाना, चमरौड़ी, दोहली, अलाहर और रादौर तथा अन्य गांवों के लगभग 800 किसानों ने भाग लिया। उन्होंने किसानों को पराली और गोबर का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए कहा कि फसल अवशेष और पराली को जलाने से वातावरण दूषित होता है और जमीन की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है।
गोबर और गोमूत्र से जैविक खेती करने की सलाह
न्यूज एजेंसी वार्ता के अनुसार, उन्होंने किसानों को बदलते जलवायु परिवेश में प्राकृतिक संसाधनों के सदुपयोग के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि वे उत्पादन लागत कम करें इससे मुनाफा बढ़ेगा। उन्होंने खेती को लाभकारी बनाने के लिए नाबार्ड की मदद से किसान उत्पादक संगठन बनाकर उत्पाद के विपणन करने, गोबर और गोमूत्र से जैविक खेती करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार समूह में जैविक खेती करने की योजना भी किसानों के हित में बना रही है। उन्होंने युवाओं को खेती से जोड़ने हेतु कृषि उदमशीलता योजना से जुड़ने की भी अपील की।
प्रो. सिंह ने हैप्पी सीडर से गन्ने की पत्ती में गेहूं की बिजाई देखने के लिए दोहली गांव का भी दौरा किया और प्रगतिशील किसान सुरेश काम्बोज के इस संबंध में प्रयासों की सराहना की।
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स्रोत - Raftaar News