मनरेगा को खेतों से जोड़ने पर होगा कृषि का विकास : भूपेश बघेल

January 18 2019

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि खेती-किसानी की प्रगति के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को कृषि से जोड़ा जाना चाहिए।

उन्होंने विशेष ग्राम सभा के लिए खेती और पशुपालन के विकास से जुड़े कई सुझाव किसानों को दिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य में रागी, कोदो और कुटकी जैसी फसलों के लिए भी समर्थन मूल्य तय किया जाएगा। लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा तय की जा रही नीतियों के विषय में भी मुख्यमंत्री ने जानकारी दी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुस्र्वार को राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित पांच दिवसीय आठवीं इंडियन हार्टिकल्चर कांग्रेस का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। मुख्यमंत्री ने कृषि उत्पादन आयुक्त को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर ग्राम सभाओं का आयोजन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

इस पांच दिवसीय कांग्रेस का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और हार्टिकल्चर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इस अवसर पर विधायक अनिता योगेन्द्र शर्मा और शकुंतला साहू, केन्द्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष डॉ. ह्वी.पाल शर्मा, कृषि उत्पादन आयुक्त के.डी.पी. राव, हार्टिकल्चर सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पदमश्री सम्मानित डॉ. के.एल. चड्डा, मुख्यमंत्री के कृषि और ग्रामीण विकास सलाहकार प्रदीप शर्मा और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ.एस.के. पाटिल भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर शेपिंग फ्यूचर ऑफ हार्टिकल्चर" सहित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रकाशनों सहित कृषि विशेषज्ञों की पुस्तकों का विमोचन किया। आगामी 26 जनवरी को ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभाओं के आयोजन को लेकर उन्होंने कहा कि प्रत्येक गांव में पशुओं के लिए गौठान और चारागाह के लिए स्थान चिन्हित किए जाएं। मनरेगा के माध्यम से गौठानों और चारागाहों का विकास किया जाए, इससे लोगों को रोजगार के साथ-साथ पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो सकेगी।

 

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स्रोत: Nai Dunia