किसानों को प्याज के बीज पर मिल रहा है 500 रूपये तक का अनुदान, पढ़ें पूरी ख़बर

October 22 2018

हरियाणा सरकार राज्य में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना लेकर आई है. जिसके तहत किसानों को प्याज के बीज पर 500 रूपये प्रति किलोग्राम का अनुदान दिया जायेगा. किसान अपने नज़दीकी हरियाणा बीज विकास निगम समीति (एचएसडीसी) के किसी बीज केंद्र पर जाकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसके लिए अधिक्तम सीमा एक हेक्टेयर(10 किग्रा) या 5000 रूपये प्रति किसान निर्धारित की गई है.

हरियाणा देश का सातवां सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. देश के कुल प्याज उत्पादन का महज तीन फीसदी उत्पादन ही राज्य में होता है. विगत सीजन में सूबे में कुल 6170 मीट्रिक टन प्याज उत्पादित की गई. और इसके उत्पादन में एक फीसदी कमी दर्ज की गई. इसलिए मौजूदा वर्ष में राज्य सरकार प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में कई कदम उठा रही है. प्याज के बीज पर अनुदान देने की योजना भी इसी का हिस्सा है.

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस योजना को अमलीजामा पहनाया. खास बात यह है कि अनुदान की दरें प्याज की प्रजातियों के मुताबिक तय की गई हैं. ऐसे में किसानों को उन उन्नत प्रजाति के बीजों को खरीदने में सहूलियत हो जाएगी, जिन्हें वो महंगा होने के चलते खरीद नहीं पाते. सरकार ने प्याज की सभी प्रमुख प्रजातियों के बाजार दाम और उन पर मिलने वाले अनुदान की सूची भी जारी की है. जिससे किसानों को यह समझने में आसानी होगी कि उन्हें किस प्रजाति का बीज खरीदना है. सबसे महंगी प्रजाति एनएचआरडीएफ की है जिसकी बाजार कीमत 1600 रूपये प्रति किलो है और इस पर 500 रूपये प्रति किग्रा का अनुदान मिलेगा. वहीं 770 रूपये प्रति किग्रा की कीमत वाली टोपाज सबसे सस्ती प्रजाति है जिस पर 385 रूपये के रूप में दिए जायेंगे. इसकी विस्तृत सूची इस प्रकार है-

यह सहायता राशि पहले आओ -पहले पाओ के आधार पर दी जाएगी. अनुदान के लिए कुल निर्धारित राशि खत्म होने तक अनुदान दिया जायेगा. साथ ही इसकी ऊपरी सीमा भी मुक़र्रर की गई है. अधिकतम एक हेक्टेयर (10 किग्रा) या 5000 रूपये प्रति किसान के हिसाब से योजना का लाभ ले सकते हैं. किसान अपने पहचान पत्र जैसे-आधार, मतदाता पहचान पत्र या अन्य वैध पहचान पत्र दिखाकर एचएसडीसी या राष्ट्रीय बाग़बानी अनुसन्धान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ)- करनाल बीज केंद्र से बीज खरीद सकते हैं. योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिले के कृषि अधिकारी से मिल सकते हैं.

Source: Krishi Jagran