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प्रदेश में खाद्यान्न् उत्पादन नहीं, बल्कि किसानों को उपज का सही मूल्य दिलाना चुनौती है। परिस्थितियों में तेजी से बदलाव हो रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाना जरूरी है। फसल ऋ ण माफी किसानों की समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड के गठन के समय कृषि क्षेत्र की चुनौतियां खाद्यान्न् की कमी दूर करने की थी पर आज खाद्यान्न् तक पहुंच बनाने और भंडारण की चुनौतियां हैं। विविधतापूर्ण खेती को अपनाने और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग का समय आ गया है। कृषि के नए आयामों को देखते हुए कृषि नीति बनाने की पहल की जाए। उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण सबसे तेज उभरते हुए क्षेत्र हैं।
ऐसे क्षेत्रों का भी अध्ययन करें, जहां नए फूड पार्क उभरने की संभावनाएं बन रही हैं, ताकि पहले से रणनीति बनाई जा सके। इस दौरान सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह, कृषि मंत्री सचिन यादव, मुख्य महाप्रबंधक नाबार्ड सुनील कुमार बंसल, महाप्रबंधक एम. खेस, डीएस चौहान और हेमंत कुमार सबलानिया के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
फसल ऋण 90 हजार करोड़ रुपए होगा
नाबार्ड ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मध्यप्रदेश के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में 1,74,970 करोड़ रुपए के कर्ज वितरण का अनुमान लगाया है। इसमें फसल ऋण 50 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 90 हजार करोड़ रुपए किया गया है। 313 ब्लॉकों में संभावित ऋण वितरण क्षमता को देखते हुए राज्य फोकस पेपर तैयार किया गया है।
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स्रोत: Nai Dunia