Madhya Pradesh has no records on the debt frozen in seven years

January 31 2019

This content is currently available only in Hindi language.

जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना के क्रियान्वयन से सहकारी बैंक और समितियों में चल रहे घपले उजागर होने लगे हैं। होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक के अंतर्गत आने वाली हरदा की एक सोसायटी में बीते सात साल में बांटे कर्ज का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।

संस्था के तत्कालीन प्रबंधक राधेश्याम विश्नोई से बीते दो साल से रिकॉर्ड मांगा जा रहा है पर उन्होंने अब तक नहीं दिया। लिहाजा, सहकारिता विभाग ने विश्नोई के खिलाफ एफआईआर करा दी। अब इस मामले की जांच के बाद ही खुलासा हो पाएगा, कितने किसानों के नाम पर कितना कर्ज दिया गया है। वहीं, कर्जमाफी के क्रियान्वयन के दौरान ऐसे 122 मामले भी जांच में सामने आए हैं, जिसमें किसानों ने एक जमीन पर दो या दो से ज्यादा बैंकों से कर्ज ले लिया।

सूत्रों के मुताबिक होशंगाबाद बैंक की नोडल शाखा हरदा के अंतर्गत आने वाली प्राथमिक सहकारी समिति नीमगांव में 2009 से 2016 तक ऋण खातों से जुड़ा रिकॉर्ड गायब है। संस्था के प्रबंधक राधेश्याम विश्नोई सितंबर 2017 में सेवानिवृत्त हुए तो उनसे रिकार्ड मांगा गया, जो उन्होंने गत मंगलवार तक नहीं दिया। सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह को जब इस घोटाले की भनक लगी तो उन्होंने सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव अजीत केसरी को नोटशीट लिखकर बारीकी से जांच कराने के निर्देश दिए।

इससे हरकत में आए विभाग ने बैंक को कार्रवाई करने के लिए कहा। बैंक ने हरदा में प्रभारी नोडल अधिकारी रामदीन सरन को नीमगांव शाखा का रिकॉर्ड गायब करने वाले अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर कराने के निर्देश दे दिए। इस पर संस्था प्रबंधक राधेश्याम विश्नोई के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। बताया जा रहा है कि इस समिति में पहले भी गड़बड़ी उजागर हो चुकी है।

उधर, जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना के क्रियान्वयन में 122 ऐसे किसानों के आवेदन भी कर्जमाफी के लिए आए हैें, जिन्होंने एक ही जमीन पर दो से अधिक बैंकों से कर्ज ले लिया। बैंक जमीन के एवज में कर्ज देता है। खसरा रिकॉर्ड में यह दर्ज भी होता है। इसके बावजूद किसानों ने दूसरे बैंकों में भी कागज रखकर कर्ज ले लिया। बैंकिंग व्यवस्था में यह फर्जीवाड़े की श्रेणी में आता है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के मामलों में बैंक से कार्रवाई करने के लिए कहा जाएगा।

वहीं, अभी तक 60 मामले ऐसे भी सामने आ चुके हैं, जिनमें किसानों ने कर्ज ही नहीं लिया औेर उनका नाम बैंक के कर्जदार की सूची में आ गया। 113 मामलों में कर्ज की राशि अधिक बताए जाने की शिकायतें सामने आई हैं। सहकारिता विभाग ने दो दिन में शिकायत का निराकरण करके किसान को एसएमएस के जरिए सूचना देने की व्यवस्था बनाई है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने कहा कि शिवराज सरकार में किसानों के नाम पर हजारों करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। कमलनाथ सरकार तह तक जाएगी और फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करके उन्हें जेल भेजा जाएगा। किसान के नाम पर किसी तरह का खेल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है।

स्रोत: Nai Dunia