Government will set up six thousand crores to save cooperatives in Madhya Pradesh

March 01 2019

This content is currently available only in Hindi language.

जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना (कर्ज माफी) की वजह से सहकारी समितियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार तीन साल में छह हजार करोड़ रुपए निवेश करेगी। यह राशि शेयर कैपिटल (अंश पूंजी) के रूप में समितियों को मिलेगी।

इसकी शुरुआत मौजूदा वित्तीय वर्ष से होगी और 2020-21 तक यह राशि तीन किस्तों में मिलेगी। इसके साथ ही सरकार एक बार फिर सहकारी कैडर को जिंदा करेगी। इसके जरिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और समितियों में सरकार का सीधा दखल रहेगा।

इसके लिए सरकार वैद्यनाथन पैकेज की शर्तों को ताक पर रखेगी। हालांकि सहकारिता विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि केंद्र सरकार ने भी वैद्यनाथन पैकेज की शर्तों का पालन नहीं किया, इसलिए हम उसे मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।

कर्ज माफी योजना में सहकारी समितियों को एनपीए (कालातीत राशि) की 50 फीसदी राशि ही सरकार देगी। बाकी 50 फीसदी राशि का भार समितियों को ही उठाना होगा। यह राशि साढ़े चार हजार से छह हजार करोड़ रुपए के बीच हो सकती है। इतना ही नहीं, एनपीए की तारीख से ब्याज का भुगतान भी नहीं किया जाएगा।

इसके मायने यह हुए कि इस राशि का नुकसान भी समिति को ही उठाना होगा। इससे समितियों की आर्थिक स्थिति खस्ता होने की आशंका है। इसे देखते हुए सहकारिता विभाग ने सरकार से अंश पूंजी के माध्यम से समितियों की क्षतिपूर्ति करने का प्रस्ताव दिया था, जिस पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है।

संयुक्त पंजीयक सहकारिता अरविंद सिंह सेंगर ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में एक हजार करोड़ रुपए सहकारी संस्थाओं को बतौर अंश पूंजी दिए जाएंगे। दो हजार करोड़ रुपए अगले वित्तीय वर्ष में दिए जाने पर सहमति बनी है।

समितियों को छोड़ना होगा ब्याज

सूत्रों का कहना है कि एक मुश्त समझौता योजना के जरिए कालातीत कर्ज का निपटारा किया जाएगा। इसके एवज में समितियों को मूल कर्ज की कुछ राशि माफ करनी होगी और ब्याज भी छोड़ना होगा। इससे समितियों को जो नुकसान होगा, उसकी आधी भरपाई तो सरकार करेगी और बाकी राशि समिति को वहन करनी होगी।

इसकी पूर्ति के लिए सरकार अंशपूंजी के तौर पर लंबे समय के लिए और बिना ब्याज के राशि देगी। हालांकि यह कदम वैद्यनाथन पैकेज की शर्तों के खिलाफ है। वैद्यनाथन पैकेज में यह तय हुआ था कि राज्य सरकार सहकारी संस्थाओं से अपनी अंशपूंजी कम करेगी।

इसके साथ ही बैंकों के संचालन में सरकारी हस्तक्षेप कम करने के लिए सहकारी कैडर को समाप्त किया गया था, लेकिन अब इसे फिर जीवित किया जा रहा है। अपेक्स बैंक के अधिकारी कैडर में होंगे और वे जिला बैंक में सीईओ, लेखाधिकारी रहेंगे।

इसी तरह जिला स्तर के संवर्ग में जिला बैंकों के अधिकारी होंगे जो सहकारी समितियों को नियंत्रित करेंगे। बताया जा रहा है कि अगले सप्ताह तक सहकारी कैडर के गठन के आदेश जारी हो जाएंगे। इससे कांग्रेस के वचन पत्र का एक और वचन पूरा हो जाएगा।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

स्रोत: Nai Dunia