For the first time, four lakhs of disease-free sugercane crops are ready

February 06 2019

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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा राज्य के किसानों को उत्तम गुणों वाले, रोगमुक्त गन्नों के पौधे उपलब्ध कराने के लिए पहली बार चार लाख से अधिक टिश्यू कल्चर पौधों का उत्पादन किया गया है। इन पौधों की उत्पादन क्षमता अधिक होने के साथ ही इनमें शर्करा की मात्रा भी ज्यादा है, जिससे शक्कर उत्पादन भी अधिक होता है। टिश्यू कल्चर लैब के माध्यम से तैयार पौधे किसानों के लिए बिक्री हेतु आठ रुपये प्रति नग की दर पर उपलब्ध हैं। इन टिश्यू कल्चर पौधों से किसान अपने खेत पर ही शुद्घ रोपण सामग्री तैयार कर सकते हैं।

रोपण सामग्री बदलते रहना चाहिए

टिश्यू कल्चर लैब के प्रभारी डॉ. एलएस वर्मा ने बताया कि आम तौर पर किसान गन्नों के सेट को बीज के रूप में लगाते हैं, जिसके रोपण हेतु प्रति हेक्टेयर 55 से 60 क्विंटल सेट की आवश्यकता होती है। इतनी बड़ी मात्रा में बीज के क्रय एवं परिवहन में काफी व्यय होता है, साथ ही किसानों द्वारा स्वयं के खेत में उत्पादित सेट को लगाने से फसल में कीट व्याधि का प्रकोप बढ़ता है और उसकी उपज तथा शक्कर-गुड़ उत्पादन में कमी आती है, इसलिए किसानों को समय-समय पर रोपण सामग्री बदलते रहना चाहिए।

कई प्रजाति के पौध तैयार

टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार पौधों में उच्च उत्पादन क्षमता के साथ-साथ रोगों एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण किसान टिश्यू कल्चर पौधों की नर्सरी लगाकर रोपण सामग्री तैयार कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के टिश्यू कल्चर लैब में बड़ी संख्या में उच्च गुणवत्ता, उत्पादकता तथा रोग-कीट प्रतिरोधी किस्मों के टिश्यू कल्चर पौधे तैयार किए गए हैं। गन्नों की कई प्रजाति उपलब्ध है, जिसमें 86032, 0265 पौधे बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

लाल रंग की प्रजाति से उत्पादन अधिक

गन्नों की प्रजाति 86032 मध्यम अवधि में परिपक्व होती है। इसमें शक्कर निर्माण के लिए उपयुक्त है। यह किस्म लाल रंग की होती है। इसकी उत्पादकता 136 टन प्रति हेक्टेयर तथा शक्कर उत्पादन 20.71 टन प्रति हेक्टेयर है। गन्नों की प्रजाति 0265 मध्यम अवधि में परिपक्व होती है। यह किस्म कठोर, क्षारीय भूमि में भी अच्छा उत्पादन देती है। इसकी उत्पादन क्षमता 195 टन प्रति हेक्टेयर तथा शक्कर उत्पादन 26 टन प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म गुड़ निर्माण हेतु अति उत्तम है।

 

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स्रोत: Nai Dunia