Big claims: Secret scandal open from debt waiver scheme

February 04 2019

 This content is currently available only in Hindi language.

आजकल मध्य प्रदेश में किसान कर्ज माफी की चर्चा आम है। आधा करोड़ से ज्यादा किसानों को फायदा पहुंचाने वाली योजना के आवेदन भी लिए जा रहे हैं लेकिन उससे पहले ही कर्ज की आड़ में चले घोटालों के कई अध्याय खुल चुके हैं। एफआईआर और जांच की कहानी भी शुरू हो गई है। कृषि मंत्री सचिन यादव का दावा है कि योजना की वजह से वर्षों से सहकारी संस्थाओं में चले आ रहे फर्जी ऋण के खेल का खुलासा हुआ है। जब इसकी जांच के नतीजे सामने आएंगे तो लोगों को अंदाजा होगा कि पिछली सरकार ने किसानों के साथ कितना बड़ा धोखा किया है। यादव का यह भी कहना है कि यह धारणा बिलकुल गलत है कि जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना चुनावी कदम है। इसके पीछे मुख्यमंत्री कमलनाथ का सोचा समझा आर्थिक गणित है। सरकार की नीयत साफ थी इसीलिए 17वें दिन ही 47 लाख से ज्यादा किसानों ने योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन कर दिए। 22 फरवरी से किसानों के खाते में कर्ज माफी की रकम पहुंचना शुरू हो जाएगी। प्रस्तुत है किसान कर्ज माफी से जुड़े कई खास पहलुओं पर कृषि मंत्री सचिन यादव से विशेष बातचीत...

कर्ज माफी के आवेदन लिए जाने की आखिरी तारीख पांच फरवरी नजदीक है। अब तक का अनुभव कैसा रहा?

योजना के लिए जब प्रक्रिया तय की जा रही थी तब मुख्यमंत्री का साफ कहना था कि इसमें पारदर्शिता के साथ सरलता भी होनी चाहिए। किसान फिजूल की प्रक्रियाओं में न उलझें, फार्म बेहद सरल रहें। हरे रंग के आवेदन फार्म उन किसानों के लिए बनाए, जिनके बैंक खाते आधार से लिंक थे। सफेद रंग के फार्म उन किसानों के लिए रखे, जिनके आधार या तो बैंक खातों से लिंक नहीं थे या फिर उनके पास आधार नंबर ही नहीं थे। हालांकि, आधार न रखने वाले किसानों की संख्या बेहद कम है। गुलाबी रंग का फार्म ऐसे किसानों के लिए रखा, जिनके ऊपर चढ़े कर्ज की रकम ज्यादा बताई गई या फिर उन्होंने कर्ज ही नहीं लिया या पात्रता के बावजूद उनका नाम सूची में नहीं आया। मोटे तौर पर किसानों को योजना समझने में दिक्कत नहीं आई।

किसानों ने सबसे ज्यादा सवाल क्या पूछे और उत्सुकता किस मुद्दे पर रही। रंगों के फेर में कहीं किसान उलझ तो नहीं गए?

किसानों को हमने स्वघोषणा का अधिकार दिया। उन्होंने फार्म में जो भरकर दिया, उसे लिया। पहले किसानों को कट ऑफ डेट को लेकर उलझन थी। जो संशय थे, वे भी दूर कर दिए गए। 31 मार्च 2018 की स्थिति में किसान पर चढ़ा कर्ज सरकार माफ करेगी। किसान ने यदि 12 दिसंबर 2018 तक आंशिक या पूर्ण रूप से कर्ज चुका दिया है, उसे भी योजना का लाभ मिलेगा। इसके बाद किसानों को कहीं कोई दिक्कत नहीं आई।

कर्ज माफी योजना के आवेदनों ने कई तरह के घोटालों के सुराग भी दिए हैं। ये क्या इशारा कर रहे हैं। क्या यह पूरे प्रदेश में फैला घोटाला है?

हम भी चौंक गए जब खुलासा होना शुरू हुआ कि किसान ने कर्ज लिया ही नहीं और उसका नाम सूची में आ गया। जब बैंकों से प्राप्त किसानों के खाते में दर्ज कर्ज की सूची चस्पा हुई तो किसान भौचक रह गए। किसी के नाम पर एक लाख रुपए कर्ज चढ़ा था तो किसी के नाम पर चार लाख। ऐसे में किसान का परेशान होना लाजमी थी। मुख्यमंत्री ने जांच कराने के सख्त निर्देश दिए। देखा जाए तो यह प्रदेश में किसानों के नाम पर हुई सबसे बड़ी लूट है। किसान को पता ही नहीं और समिति में उसके नाम से खेल हो गया। इतना ही नहीं फर्जी कर्ज तो निकाला ही, इस पर ब्याज अनुदान भी खा गए। यह तो घोटाले पर घोटाले का केस है। इसकी व्यापकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आधा दर्जन जिलों में एफआईआर हो चुकी है। ग्वालियर में करोड़ों रुपए का प्रकरण सामने आया है। हरदा की एक समिति में सालों से कर्ज देने का रिकॉर्ड ही गायब है। यह सब इस बात की ओर इशारा करता है कि दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है। जब जांच के नतीजे सामने आएंगे तो सबकी आंखें खुली की खुली रह जाएंगी और भाजपा का कथित किसान हितैषी चेहरा भी बेनकाब हो जाएगा।

पहले की कर्ज माफी योजनाओं से यह किस तरह अलग है। क्या इससे किसान पूरी तरह संतुष्ट हो पाएंगे?

2008 में यूपीए सरकार ने कर्ज माफी योजना लागू की थी लेकिन उसमें और जय किसान फसल ऋण मुक्ति योजना में काफी अंतर है। पहले की योजना में न तो किसानों की सूची सार्वजनिक हुई थी और न ही आवेदन भरवाए गए थे। खातों को आधार से लिंक भी नहीं करवाया गया था। इसकी वजह से मध्य प्रदेश में 2008 की कर्ज माफी योजना में 108 करोड़ रुपए की अनियमितता सामने आई। तत्कालीन सरकार ने स्वयं विधानसभा में यह बात स्वीकार की थी। देश के इतिहास में किसी भी राज्य ने इतनी बड़ी कर्ज माफी किसानों को नहीं दी है। इसके दायरे में 50 लाख से ज्यादा किसान आ रहे हैं। आधार से बैंक खातों को जोड़ने से यह भी तय होगा कि वास्तविक व्यक्ति का ही कर्ज माफ किया जा रहा है।

क्या सभी किसान इस दायरे में आ गए हैं या कुछ छूट भी जाएंगे?

सरकार की मंशा साफ है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसका लाभ मिले। इसलिए कट ऑफ डेट 31 मार्च 2018 रखी। हमारा अनुमान है कि 50 लाख से ज्यादा किसान योजना के दायरे में आएंगे। 1 फरवरी तक 47 लाख 72 हजार से ज्यादा आवेदन भरे जा चुके हैं। निजी बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों को छोड़ दिया जाए तो सभी इसकी जद में आ गए हैं।

किसानों को कब तक कर्ज माफी की रकम मिल जाएगी। कहा जा रहा है कि इसके लिए उन्हें लोकसभा चुनाव तक इंतजार करना होगा?

किसानों के खातों में 22 फरवरी से राशि जमा होना शुरू होगी। जैसे-जैसे वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी होती जाएगी वैसे-वैसे किसानों के खाते में राशि ट्रांसफर होने लगेगी। हमने तय समय से पहले ही वेरीफिकेशन का काम शुरू कर दिया है।

यदि कोई पात्र किसान आवेदन पत्र नहीं भर पाता है या उसके पास आधार नहीं है तो क्या वो योजना के लाभ से वंचित हो जाएगा?

ऐसा नहीं है। यदि कोई किसान अभी तक आवेदन नहीं भर पाया है तो कोई बात नहीं। उसके पास पांच फरवरी तक का समय है। इसके बाद फार्म नहीं लिए जाएंगे। यदि आधार नहीं है तो भी घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे किसान बैंक या डाकघर जाकर आधार का पंजीयन करवा सकते हैं। पंजीयन करवाते ही एक नंबर मिलेगा। इसे ही मान्य कर लिया जाएगा क्योंकि नंबर मिलने के तीन से सात दिन के भीतर कार्ड बनकर आ जाता है। वैसे अभी तक जितने भी भुगतान किसानों को हुए उन सभी में आधार मांगा गया है। आधार नंबर नहीं होने की वजह से कोई योजना से वंचित रहा हो, ऐसे मामले बहुत कम सामने आए हैं।

 

इस खबर को अपनी खेती के स्टाफ द्वारा सम्पादित नहीं किया गया है एवं यह खबर अलग-अलग फीड में से प्रकाशित की गयी है|

स्रोत: Nai Dunia