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अक्सर सुनने को मिलता है कि खेती अब फायदे का धंधा नहीं रही। कई बार तो फसल की लागत भी नहीं निकल पाती। ऐसे में आज की युवा पीढ़ी खेती से मुंह मोड़ रही है। किसानों के सामने समस्याएं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि खेतों को बंजर छोड़ दिया जाए। झारखंड, ओडिशा से कृषि विश्वविद्यालय का भ्रमण करने पहुंचे किसानों को कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि किसानों को पुरानी परंपरागत खेती के बजाय आधुनिक, समतुल्य खेती करने की जरूरत है। साल भर में धान की सिर्फ एक फसल लेने के बजाय सब्जियों की खेती करें।
इस दौरान आसपास जिले के कुछ किसान भी पहुंचे थे। धमतरी के कृषक राजेश साहू धान की खेती के साथ सब्जियों की बेहतर खेती कर रहे हैं। इससे उन्हें कभी सब्जी मंडी से हरी सब्जी खरीदने की जरूरत नहीं पड़ी। उन्होंने पारंपरिक खेती के साथ सब्जियों की मांग को ध्यान में रखकर इसका उत्पादन शुरू किया। दो एकड़ खेत के आधे में उन्होंने सब्जी की खेती करना प्रारंभ किया, जिससे बेहतर आमदनी हो रही है। उनका कहना है कि पूरे खेत में एक ही फसल नहीं लेने का निर्णय काफी सार्थक रहा। सरना धान लगाने के साथ आधे एकड़ में मूली, चौलाई, मेथी, पालक, भिंडी, लौकी, लाल भाजी की पैदावार कर रहे हैं। इन्हें देखकर दूसरे किसान भी जागरूक हो रहे हैं।
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स्रोत: नई दुनिया