मावठ की बारिश के साथ क्षेत्र के अन्नदाताओ को रबी सीजन में बोई गई फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए यूरिया खाद की जरूरत पड़ने लगी है, ऐसे में पर्याप्त मात्रा में खाद ना आ पाने के कारण अन्नदाता काफी परेशान है। 5 जनवरी को ग्वालियर जिले की भितरवार कृषि उपज मंडी प्रांगण स्थित शासकीय खाद गोदाम पर जैसे ही यूरिया खाद पहुंचा, 2 दिन वितरण करने के लिये आया हुआ खाद का स्टॉक शुक्रवार की शाम खत्म हो गया, रात्रि 2 बजे की लाइन में लगने के बाद भी किसान बगैर खाद लिए निराश होकर वापस लौट गए।
शासकीय खाद गोदाम पर यूरिया खाद खत्म होने की जानकारी अन्य अन्नदाता को नहीं लग सकी, जिसके चलते कई किसान शुक्रवार की देर रात्रि ही शासकीय खाद गोदाम पर लाइन में लग गए और और सुबह तक लाइन में लगे रहे। उन्हें जब जानकारी लगी की खाद नहीं है, तब वह निराश होकर वापस लौटे। शासन द्वारा लगभग 10 से 15 दिन के इंतजार के बाद शासकीय खाद गोदाम पर 556.290 टन यूरिया खाद विक्रय के लिए भेजा गया। जिसमें से 367.06 टन यूरिया ब्लॉक की 14 सोसाइटीयों को विक्रय के लिए दिया गया। शासकीय खाद गोदाम से 189.23 टन यूरिया खाद का विक्रय अन्नदाता को किया गया। सोसाइटी क्षेत्र के अधिकतर किसान शासकीय खाद गोदाम पर दिन-रात लाइन में लगे हुए हैं, तब भी उन्हें खाद नसीब नहीं हो पा रहा है। वही देर रात से खाद गोदाम के बाहर लाइन लगाकर खड़े सैकड़ों अन्नदाता शनिवार कि सुबह कड़ाके की सर्दी और शीतलहर के बीच खाद के लिए लाइन में लगे रहे। जब किसानों ने देखा कि खाद गोदाम पर चस्पा सूचना पटल पर लिखा था कि खाद का स्टॉक ना होने की स्थिति में गोदाम बंद रहेगा, तब कहीं जाकर अन्नदाता निराश होकर वापस लौटे। वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी ओपी राजपूत ने क्षेत्र की सोसाइटी पर दिए गए खाद की जानकारी से अवगत कराया। अधिकारियों का कहना है कि दो चार रोज के अंदर यूरिया खाद की रैक लगने वाली है।
किसानों ने की सोसायटियों पर खाद के सत्यापन की मांगः किसान जगराम सिंह गुरु चरण सिंह वीरेंद्र सिंह रघुवीर सिंह काली चरण रामगोपाल दशरथ सिंह भीकम सिंह हरनाम सिंह सोबरन सिंह परगट सिंह सहित कई किसानों ने आशंका जताई है कि संबंधित सोसायटियों के द्वारा किसानों के नाम पर लिए जा रहे खाद को कालाबाजारी कर ब्लैक में विक्रय किया जा रहा है। जिस के संबंध में उन्होंने भितरवार तहसीलदार श्यामू श्रीवास्तव को भी अवगत कराते हुए कहा है कि संबंधित सोसाइटी पर दिए गए खाद का सत्यापन कराया जाए कि उन्होंने किसानों को दिया है या व्यापारियों को।
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स्रोत: Nai Dunia