कहते हैं किसानों को जन्म से ही खेती-किसानी आती है। लेकिन जैविक खेती कैसे की जाए, इसमें आगे क्या संभावना है, खेती के लिए वित्त पोषण कहां से होगा और उत्पाद के लिए बाजार कैसे मिलेगा, इसका गुर सिखाने के लिए केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता विकास मंत्रालय सामने आया है। राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान (निसबड) में इस तरह का पाठ्यक्रम शुरू हो गया है।
इसे देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने देश के कई हिस्सों में जैविक खेती को बढ़ावा देने का खाका खींचा है। इसी क्रम में सिक्किम में तो पूरे राज्य को जैविक खेती वाला राज्य घोषित कर दिया गया है। साथ ही हर राज्य में कुछ जिलों का चयन जैविक खेती के लिए हुआ है।
अधिकतर किसानों को नहीं है जानकारी
इस राह में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि किसान जैविक खेती के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। इसलिए किसानों, खासकर नई पीढ़ी के किसानों को इस बारे में जानकारी देने के लिए यह पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय का कहना है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि में ही देश का विकास है। कृषि क्षेत्र में विकसित नई तकनीक के आगमन के साथ ही किसान भाइयों के स्वास्थ्य और सम्पन्नता को बनाये रखने के लिए जैविक खेती के बारे में अधिक से अधिक किसानों को जागरूक और शिक्षित करने का प्रयास कर रहा है।
सिखाएंगे उत्पाद बेचना
निसबड की निदेशक पूनम सिन्हा ने बताया कि जैविक खेती के पाठ्यक्रम में मूल रूप से खेती करने की तकनीक तो सिखाई ही जाती है, किसान को उद्यमी बनाने पर भी जोर रहता है। इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों का भी सहयोग रहता है। किसानों को तकनीकी सहायता कहां से मिलेगी, काम शुरू करने के लिए कहां से वित्त पोषण होगा, जैविक खेती के उत्पाद का बाजार कहां है और उसे कहां बेचें तो ज्यादा से ज्यादा लाभ होगा जैसी जानकारियां भी दी जाती हैं।
नोएडा में मिल रहा प्रशिक्षण
निसबड ने इस पाठ्यक्रम के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण रखा है, जो संस्था के नोएडा स्थित परिसर में दिया जाता है। इसके लिए 5,000 रुपये का शुल्क भी रखा गया है, जिस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगता है। इसी शुल्क में अध्ययन सामग्री और प्रशिक्षण के दौरान का भोजन, चाय, जलपान आदि शामिल है। पाठ्यक्रम पूरा करने वाले किसानों को एक प्रमाण-पत्र भी दिया जाता है।
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स्रोत: अमर उजाला