मोदी सरकार का दावा है कि वो सभी फसलों पर उत्पादन लागत से 50 फीसदी अधिक मुनाफा दिया जा रहा है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में कहा है कि सरकार ने 2018-19 और 2019-20 के लिए उत्पादन लागत के ऊपर कम से कम 50 फीसदी लाभ के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP-Minimum Support Price) में वृद्धि की है. 2018-19 के केंद्रीय बजट में एमएसपी को उत्पादन लागत से डेढ़ गुना के स्तर पर रखने की घोषणा की गई थी.
एमएसपी की सिफारिश करते वक्त सीएसीपी विभिन्न कारकों जैसे उत्पादन लागत, घरेलू तथा विश्व बाजार में फसलों की मांग-आपूर्ति की स्थिति, कृषि एवं गैर कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें व अर्थव्यस्था (Economy) पर मूल्य नीति का प्रभाव आदि देखता है.
चार साल में मुख्य फसलों का कितना बढ़ा दाम
केंद्रीय कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) की के अधिकारियों के मुताबिक 2016-17 की तुलना में 2019-20 में धान पर 345, गेहूं पर 300 जबकि जौ पर 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है. इसी तरह ज्वार के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 925, बाजरा में 670 और रागी में 1425 रुपये की वृद्धि हुई है. दलहल फसलों की बात करें तो अरहर की एमएसपी 750, मूंग की 1825, उड़द की 700 और चना पर 875 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है.
कितनी लागत कितना दाम
- धान: कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में सामान्य धान पर 1208 रुपये प्रति क्विंटल की लागत आई जबकि सरकार ने एमएसपी 1815 रुपये दी. यह लागत का 50.2 फीसदी है.
- बाजरा: सरकार का दावा है कि बाजारा पर प्रति क्विंटल 1083 रुपये की लागत आई है जबकि एमएसपी 2000 रुपये की गई है. यह लागत का 84.7 फीसदी है.
- अरहर: मोदी सरकार के मुताबिक अरहर पर किसान का खर्च प्रति क्विंटल 3636 रुपये हुआ है. जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य 5800 रुपये किया गया है. यह लागत का 59.5 फीसदी है.
- उड़द: सरकार के अनुसार उड़द पैदा करने पर किसान ने प्रति क्विंटल 3477 रुपये खर्च किया. जबकि एमएसपी 5700 रुपये निर्धारित की गई है. यह उत्पादन लागत का 63.9 फीसदी है.
- अन्य: कृषि मंत्रालय के दावों के मुताबिक मक्का, मूलफली, सोयाबीन और तिल के उत्पादन लागत पर भी 50-50 फीसदी मुनाफा देकर एमएसपी तय किया गया है.
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स्रोत: न्यूज़ 18 हिंदी