भोपाल। राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड) खत्म नहीं होगा। मंडी अधिनियम में बदलाव किसान और मंडी हित को मद्देनजर रखते हुए ही होंगे। बोर्ड को बंद करने की खबरों को सरकार ने कोरी अफवाह करार दिया है।
केंद्र सरकार के मॉडल एक्ट पर विचार करने और मंडी के कामकाज में सुधार लाने के उपाय सुझाने जो समिति बनी है, उसकी सिफारिशों का सरकार और विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण किया जाएगा, इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने मंडियों के कामकाज में सुधार और व्यापार में सुगमता के लिए मॉडल एक्ट बनाया है। इस पर विचार करने और सरकार को सिफारिश देने के लिए सेवानिवृत्त आईएएस अफसर प्रवेश शर्मा की अध्यक्षता में समिति बनाई गई है।
बताया जा रहा है कि मंडी बोर्ड में एक संचालक (मार्केटिंग) का पद बनाने और निजी मंडियों की स्थापना का प्रावधान मौजूदा मंडी अधिनियम में करने की बात चल रही है। इसको लेकर यह अफवाह उड़ गई कि सरकार मंडी बोर्ड को बंद करने या कमजोर करने जा रही है।
इसको लेकर कर्मचारी संगठनों ने विरोध भी शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में निजी मंडियों का प्रावधान करीब छह साल पहले से है, लेकिन आज तक एक भी नहीं खुली हैं। उद्यानिकी फसलों को प्रदेश में मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है, इसके बावजूद एक भी मंडी नहीं खुल पाई।
पहले किसान और मंडी हित: राजौरा
प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि मंडी बोर्ड को बंद करने को लेकर जो बात चल रही है, वो कोरी अफवाह है। मंडी बोर्ड किसी भी परिस्थिति में बंद नहीं होगा। सरकार के लिए किसान और मंडी हित पहले है। इसके मद्देनजर ही कोई फैसला होगा। अभी सिर्फ चर्चाओं का दौर चल रहा है।
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Source: Naiduniya