साल 2017 में कृषि के बैड लोन के कारण राजकोषीय घाटे में 11,400 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी देखी गई है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों की माने तो किसान अभी भी अधिक अनुशासित उधारकर्ता हैं. आंकड़ों की माने तो उनका डिफ़ॉल्ट सूची में कुल बकाया सिर्फ छह प्रतिशत है जबकि कंपनियों और बुनियादी ढांचे के उधारकर्ताओं का प्रतिशत इसकी 20.83 प्रतिशत है.
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार कृषि एनपीए 2016 में 48,800 करोड़ रुपये से 2017 में 23 फीसदी बढ़कर 60,200 करोड़ रुपये हो गया है. जबकि कृषि क्षेत्र में खराब कर्ज 142.74 फीसदी बढ़कर 24,800 करोड़ रुपये हो गया.
आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि मार्च 2017 तक 728,500 करोड़ रुपये के कुल बैंकिंग क्षेत्र के एनपीए में फार्म क्षेत्र के बैड लोन 8.3 फीसदी था.
रिपोर्ट के अनुसार 170,000 करोड़ रुपये की प्राथमिकता वाले क्षेत्र के एनपीए का 35.4 फीसदी हिस्सा अब कृषि क्षेत्र के खराब ऋणों द्वारा किया जाता है. भारतीय रिज़र्व बैंक का कहना है कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों और व्यक्तिगत ऋण के लिए वृद्धि दर पिछले वर्ष 15.13 फीसदी (882, 9 00 करोड़ रुपये) से बढ़कर 2017 में 12.4 फीसदी (992,400 करोड़ रुपये) रह गई.
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में करीब डेढ़ हजार खाते ऐसे हैं, जिनमें 100 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा का कर्ज फंसा हुआ है. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है. आंकड़ों के अनुसार, 21 सरकारी बैंकों में 1463 ऐसे खाते हैं, जिनमें से प्रत्येक पर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है.
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Source: Raftar News