Some essential tips for fruit crops in February month
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फलदार पौधों को यदि रासायनिक खादें अभी तक नहीं डाली तो 4—6 वर्ष की उम्र के हिसाब से किन्नू के पौधों को 480—850 ग्राम यूरिया की पहली किश्त और 1370—2400 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, बाकी नींबू वर्गीय पौधों को 220—275 ग्राम यूरिया की पहली किश्त, आम को 200—400 ग्राम यूरिया और 350—700 ग्राम पोटाश, नाशपाति को 200—300 ग्राम यूरिया की पहली किश्त, लीची को 250—500 ग्राम यूरिया की पहली किश्त, आडू को 250—500 ग्राम यूरिया की पहली किश्त, अंगूर को 400—500 ग्राम यूरिया की पहली किश्त, आलूचा को 150—180 ग्राम यूरिया की पहली किश्त डाल दें। खाद पौधे को एकसमान डालें और हल्की गोडाई करके मिट्टी में मिला दें।
बेर के पौधों में फल के आकार और वृद्धि के लिए आवश्यकतानुसार पानी दें और सफेद रोग की रोकथाम के लिए 0.5 मि.ली. कैराथेन या 0.5 ग्राम बैलेटान दवाई प्रति लीटर पानी के हिसाब से बदल बदल कर स्प्रे करें। फल की मक्खी की रोकथाम के लिए 1.5 मि.ली. रोगोर 1 लीटर पानी के हिसाब से स्प्रे करें। बेर फल तोड़ने से 2 सप्ताह पहले स्प्रे बंद कर दें। नींबू वर्गीय पौधों के सिटरस सिल्ला और सुरंगी कीट की रोकथाम के लिए 0.4 मि.ली. इमीडाक्लोप्रिड प्रति लीटर पानी के हिसाब से फल आने से पहले स्प्रे करें और जड़ों के गलन और गोंदिया रोग की रोकथाम के लिए पौधों की जड़ों और उससे ऊपर सोडियम हाइप्रोक्लोराइड 5 प्रतिशत को 50 मि.ली. प्रति पौधे के हिसाब से 10 लीटर पानी में घोलकर अच्छी तरह स्प्रे करें। आम के पौधों पर फूल आने और तेले और सफेद रोग की रोकथाम के लिए 1.6 मि.ली. मैलाथियोन और 2.5 ग्राम घुलनशील गंधक या 1 मि.ली. कैराथेन फूल निकलने से पहले और बाद में फूल—पत्तियों के झड़ने तक 10 दिनों के अंतराल पर 1 लीटर पानी के हिसाब से स्प्रे करें।